महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। कद्दावर ओबीसी नेता एकनाथ खडसे के पार्टी छोड़ कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बाद मीरा-भायंदर की निर्दलीय विधायक गीता जैन अब शिवसेना के भगवा रंग में रंग चुकी हैं।
मिरा-भाईंदर विधानसभा मतदारसंघाच्या आमदार गीता जैन जी यांनी आज #मातोश्री निवासस्थानी शिवसेना पक्षप्रमुख, मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे यांच्या हस्ते शिवबंधन बांधून शिवसेनेत जाहीर प्रवेश केला.#मिरा_भाईंदर #शिवसेना #ShivSena #GeetaJain @ShivSena @OfficeofUT @PratapSarnaik pic.twitter.com/KJNB6skz1l
— Sachin Patil🚩🇮🇳 (@Sachinshivsena) October 24, 2020
मीरा-भायंदर में पांव जमाने में मिलेगी मदद
गीता जैन के पार्टी में शामिल होने से शिवसेना को निश्चित रुप से बीजेपी के गढ़ माने जानेवाले जुड़वां शहर मीरा-भायंदर में अपने पांव मजबूती से जमाने में मदद मिलेगी। उन्होंने बीजेपी के दबंग नेता और उम्मीदवार नरेंद्र मेहता को मात देकर जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में उन्होंने बीजेपी में शामील होने की घोषणा की थी और देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर उन्होंने उनकी अल्पायु सरकार को अपना समर्थन भी जताया था लेकिन आगे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के सहयोग नहीं मिलने से उनका बीजेपी से मोहभंग हो गया । उसके बाद गीता जैन के हितेंद्र ठाकुर की पार्टी बहुजन विकास आघाड़ी में जाने की भी चर्ची थी, लेकिन अब उन्होंने शिवसेना में शामिल होकर सभी प्रश्नों पर पूर्ण विराम लगा दिया है। अब विधानसभा में एक विधायक बढ़ जाने से शिवसेना की स्थिति पार्टी के स्तर के साथ ही सरकार में भी मजबूत हुई है।
पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज थीं गीता जैन
गीता जैन 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बगावत कर पार्टी के ही उम्मीदवार नरेंद्र मेहता के खिलाफ मैदान में उतरी थीं। इस चुनाव में जीत हासिल करने के बाद गीता जैन को भरोसा था कि बीजेपी में उनकी धूमधाम से वापसी होगी। इसके इंतजार में वह करीब एक साल से बैठी थीं लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं ने उन्हें कोई तवज्जो नहीं दिया। इसके बाद उनके पास पार्टी छोड़ने के आलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था, क्योंकि चुनाव हारने के बावजूद नरेंद्र मेहता का प्रभाव पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में आज भी बरकरार है। गीता जैन के भरोसेमंद लोगों का कहना है कि तमाम तरह के लांछनों और शिकायतें मिलने के बावजूद देवेंद्र फडणवीस नरेंद्र मेहता का मोह त्याग नहीं कर पा रहे हैं।
खडसे समर्थकों के साथ अन्य बीजेपी नेता भी छोड़ सकते हैं बीजेपी
एकनाथ खडसे के एनसीपी में शामिल होने के बाद बड़ी संख्या में उनके समर्थकों के भी एनसीपी में प्रवेश तय माना जा रहा है। इनके आलावा भविष्य में बीजेपी के और भी कई नेताओं के पार्टी छोड़ने के संकेत मिल रहे हैं। इससे बीजेपी को झटके पर झटका लगना तय माना जा रहा है। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि ये नेता चाहे शिवसेना में शामिल हों या एनसीपी या कांग्रेस में। इससे मजबूती महाविकास आघाड़ी सरकार को ही मिलेगी और इसका नुकसान बीजेपी को होगा। इससे उसकी सत्ता में वापसी का सपना चूर-चूर हो जाएगा। अगर भविष्य में बीएमसी औरअ अन्य चुनावों में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रसे मिलकर चुनाव लड़ती हैं तो बीजेपी के लिए कितनी बड़ी मुशि्कल खड़ी हो सकती है, इसे समझना मुश्किल नहीं है।
पार्टी छोड़ने के कारण
इनके पार्टी छोडने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि महाविकास आघाड़ी की सरकार के रहते हुए विधायकों को अपने क्षेत्र में काम करने के लिए सत्ता पक्ष की मदद नहीं मिल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी नेताओं को तोड़ने का महाविकास आघाड़ी की पार्टियों के पास यह सुनहरा मौका है और अगर बीजेपी ने उन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो उसकी मुसीबतें बढ़ती जाएंगी।
ये भी कर सकते हैं घर वापसी?
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या जिन नेताओं ने पूर्व में अन्य पार्टियों को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिथा था लेकिन बीजेपी में उन्हें कोई महत्व नहीं मिला है, वे भी भविष्य में घर वापसी कर सकते हैं? ऐसे नेताओं मे कभी बीएमसी मे शक्तिशाली विरोधी पक्ष नेता रहे राजहंस सिंह भी शामिल हैं। बीजेपी-सेना के सीट शेयरिंग में इनको 2019 के विधानसभा के चुनाव में टिकट नहीं मिला पाया था। इसके चलते वो पैदल हो गए। बीजेपी ने बाद में उन्हें मुंबई में उपाध्यक्ष पद देकर खानापूर्ति की। कभी कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री रहे हर्षवर्धन पाटिल के लिए बीजेपी जॉइन करना घाटे का सौदा रहा । विधान सभा चुनाव में उनको बीजेपी ने विधायकी का टिकट तो दिया लेकिन पाटिल कांग्रेस के वोट बैंक को बीजेपी में कन्वर्ट नहीं कर पाए और चुनाव हार गए। वो भी फिलहाल पैदल हैं। अब बात करते हैं, कांग्रेस के उत्तर भारतीय नेता रमेश सिंह की। रमेश सिंह को बीजेपी ने टिकट तो दिया था लेकिन वो भी चुनाव हार गए और फिलहाल सिर्फ बीजेपी के सदस्य बनकर संतोष कर रहे हैं। बीजेपी के ढहते किले को देखकर भविष्य में इनकी घर वापसी संभव है।
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