अनुच्छेद 370 (Article 370) हटने के बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में पहली बार लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) हुए और यहां के लोगों ने दिखा दिया कि वे इस कानून (Law) के हटने से कितने खुश हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे इसका बड़ा सबूत हैं, जहां अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध करने वाले दो पूर्व सीएम पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) और नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) चुनाव हार गए हैं। दोनों नेताओं ने अपनी हार भी स्वीकार कर ली है।
बता दें, जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं। इस चुनाव में 35 साल बाद भारी मतदान देखने को मिला है। पहले राज्य में 6 लोकसभा सीटें थीं। लद्दाख के अलग होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में पांच लोकसभा सीटें बची हैं। बारामुल्ला, श्रीनगर, अनंतनाग, जम्मू और उधमपुर।
उमर अब्दुल्ला निर्दलीय उम्मीदवार से हारे
उमर अब्दुल्ला बारामुल्ला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे। जहां उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार इंजीनियर राशिद से हार का सामना करना पड़ा। उमर अब्दुल्ला ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर मुझे आसान मुकाबला चाहिए होता तो मैं श्रीनगर सीट पर आंख बंद करके चुनाव लड़ता। अगर मैं बारामूला सीट से चुनाव नहीं लड़ता तो हम कहीं भी मैदान में नहीं होते। हम आंख बंद करके वह सीट हार जाते।
पूर्व सीएम मुफ्ती ने भी मानी हार
महबूबा मुफ्ती को अनंतनाग राजौरी सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार मियां अल्ताफ अहमद से हार का सामना करना पड़ा है। अनंतनाग राजौरी सीट से पीडीपी उम्मीदवार महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जनता के फैसले का सम्मान करते हुए मैं अपने पीडीपी कार्यकर्ताओं और नेताओं को तमाम मुश्किलों के बावजूद उनकी कड़ी मेहनत और समर्थन के लिए धन्यवाद देती हूं। मुझे वोट देने वाले लोगों का दिल से आभार। हार-जीत खेल का हिस्सा है और यह हमें हमारे रास्ते से नहीं हटा सकता।
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