बिहार में नीतीश कुमार के नये मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों में दागियों की भरमार है। सुशासन बाबू के नाम से मशहूर नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में इतने दागी मंत्रियों का होना आश्चर्यजनक है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या वे वक्त के साथ समझौतावादी हो गए हैं या ये उनकी मजबूरी है? कभी लालू यादव के कार्यकाल को जंगलराज कहने वाले नीतीश कुमार ने एक बार फिर उन्हीं की पार्टी के साथ मिलकर सत्ता में हैं।
प्रदेश मे 16 अगस्त को मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है और 31 नये मंत्रियों को शामिल किया गया है। अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी शामिल कर लिया जाये तो नई सरकार में मंत्रियों की कुल संख्या 33 हो गई है।
33 में से 23 दागी
बिहार मंत्रिमंडल में शामिल 33 मंत्रियों में से 23 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह आंकड़ा कुल मंत्रियों का 72 प्रतिशत है। यह खुलासा एडीआर की रिपोर्ट में हुआ है। जेडीयू के कोटे से मंत्री बनाये गए अशोक चौधरी ने अपना शपथ पत्र दाखिल ही नहीं किया है। अन्य मंत्रियों में 72 प्रतिशत मंत्रियों ने खुद अपने आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी दी है। इससे चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 53 प्रतिशत यानी 17 मंत्रियों पर हत्या और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
दागी मंत्रियों के मामले में आरजेडी नंबर वन
अब सवाल यह भी उठता है कि किस पार्टी के कितने दागी मंत्री हैं। 16 अगस्त को 31 मंत्रियों ने पद और गोपनियता का शपथ ग्रहण किया। इनमें से 16 आरजेडी के थे, जबकि जेडीयू के 11, कांग्रेस के 2, हम के 1 और निर्दलीय 1 विधायक शामिल हैं।
- एडीआर के अनुसार आरजेडी के तेजस्वी यादव को मिलाकर 17 मंत्रियों में से 15 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह आरजेडी के कुल मंत्रियों का 88 प्रतिशत है।
- जेडीयू के 11 में से 4 मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह 36 प्रतिशत है।
- कांग्रेस के दोनों मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
- हम और निर्दलीय कोटे से मंत्री बने विधायक भी दागी हैं।
17 मंत्रियों पर मर्डर-रेप जैसे गंभीर मामले दर्ज
33 में से कुल 17 मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे मंत्रियों के मामले में आरजेडी नंबर वन है। उसके 17 में से 11 मंत्रियों पर गंभीर मामले दर्ज हैं। जेडीयू के 2 और 1 तथा हम- निर्दलीय विधायकों पर भी गंभीर मामले दर्ज हैं। यहां यह भी जानना जरूरी है कि गंभीर मामले किसे कहा माना जाता है। इसका जवाब है कि जिस मामले में कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान होता है और गैर जमानती होता है, ऐसे मामलों को गंभीर माना जाता है। इनमें हत्या, रेप, मारपीट, अपहरण जैसे मामले शामिल होते हैं।
कानून मंत्री के ठेंगे पर कानून
हैरान करने वाली बात यह है कि कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह खुद ही कानून के शिकंजे में हैं। उनके मंत्री पद के शपथ ग्रहण पर बवाल मच गया था। इसका कारण यह था कि उनके खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज है। आरजेडी के कोटे से मंत्री बने कार्तिकेय सिंह के खिलाफ 16 अगस्त को सरेंडर करने का वारंट जारी किया गया था लेकिन उसी दिन उन्होंने कैबिनेट मंत्री का शपथ ग्रहण कर कानून को ठेंगा दिखा दिया।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
- सरकार में शामिल मंत्रियों में से 27 करोड़पति हैं।
- आरजेडी के 16 मंत्री जबकि जेडीयू के 9 मंत्री करोड़पति हैं।
- हम और निर्दलीय मंत्री भी करोड़पति हैं।
- 32 मंत्रियों की औसत संपत्ति 5.82 करोड़ है।
- कांग्रेस के मुरारी गौतम के पास सबसे कम कुल 17.66 करोड़ संपत्ति है।
- 25 प्रतिशत यानी 8 मंत्री 8-12वीं पास हैं।
- 75 प्रतिशत यानी 24 मंत्री ग्रेजुएट या उससे अधिक शिक्षित हैं।
- कुल मंत्रियों में तीन महिला विधायक शामिल हैं।