बिहार चुनावः हर नेता बना मुखमंत्री

वास्तव में यहां एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। दिलचस्प बात तो यह है कि इनमें से कुछ नाम ऐसे भी हैं, जिनके नाम इस चुनाव से पहले तक बहुत कम ही लोगों ने सुने थे। ये मुख्यमंत्री बनें या न बनें, चुनावी नतीजे आने तक मुखमंत्री( खुद के मुख से मंत्री) बनकर तो खुश हो ही रहे हैं।

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बिहार विधान सभा चुनाव में इस बार कई दिलचस्प बातें देखने को मिल रही हैं। उनमें से एक यह भी है कि इस बार यहां मुख्यमंत्री पद के छह दावेदार चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। बिहार के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब सीएम कुर्सी पर इतने लोगों ने एक साथ दावेदारी पेश की है। वास्तव में यहां एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। दिलचस्प बात तो यह है कि इनमें से कुछ नाम ऐसे भी हैं, जिनके नाम इस चुनाव से पहले तक बहुत कम ही लोगों ने सुने थे। ये मुख्यमंत्री बनें या न बनें, चुनावी नतीजे आने तक मुखमंत्री( खुद के मुख से मंत्री) बनकर तो खुश हो ही रहे हैं।
एनडीए ने तो वर्तमान मुख्यमंत्री और जेडीयू सुप्रीमो नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है। लेकिन इस बार महागठबंधन ने अपना सीएम का चेहरा बदल दिया है। इससे पहले हुए 2015 के विधान सभा चुनाव में जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा था, जिसमें आरजेडी और जेडीयू मुख्य पार्टियां थीं। तब महागठबंधन की ओर से नीतीश कुमार को ही सीएम पद के दावेदार के रुप में पेश किया गया था। लेकिन इस बार नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भाजपा, हिंदुस्तान आवामी मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी एनडीए का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उन्हें एनडीए ने मुख्यमंत्री के रुप में पेश किया है।
महागठबंधन के मुख्यमंत्री का चेहरा इस बार बदल गया है और लालू यादव के छोटे लाल तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया गया है। इनके आलावा लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान के समर्थक भी चाहते हैं कि वो मुख्यमंत्री बनें। इसलिए लोजपा ने जूनियर पासवान को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है। इनके आलावा चुनाव से कुछ महीने पहले प्लुरल्स नाम से नई पार्टी बनानेवाली पुष्पम प्रिया चौधरी ने भी खुद को अगला मुख्यमंत्री घोषित किया है। इनके साथ ही लोक जनाधिकार पार्टी के पूर्व सांसद पप्पू यादव भी इस पद पर अपनी दावोदारी पेश कर रहे हैं, जबकि रालोसपा ने कई पार्टियों को मिलाकर नया गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन ने कुशवाहा को सीएम का चेहरा बनाया है।

नीतीश कुमार
एनडीए की ओर से घोषित सीएम का चेहरा

सियासत का लंबा अनुभव
-पहली बार 1985 में बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित
-9वीं लोकसभा के लिए 1989 में पहली बार चुने गए।
-1996, 1998 और 2004 में भी लोकसभा के लिए चुने गए और केंद्रीय मंत्री रहे
-अप्रैल से नवंबर 1990: केंद्रीय कृषि व सहकारिता राज्य मंत्री
-19 मार्च 1998 से 5 अगस्त 1999 तकः केंद्रीय रेल मंत्री
-13 अक्टूबर 1999 से 22 नवंबर 1999 तकः भू-तल परिवहन मंत्री
-27 मई 2001 से 21 मई 2004 तकः रेल मंत्री

मुख्यमंत्री बने
-03 से 10 मार्च 2000 तक पहली बार सात दिनों के लिए
-24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक
-26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014 तक
-22 फरवरी 2015 से अब तक

उपलब्धियां
राज्य में पूर्ण शराबबंदी, कृषि विकास के लिए रोडमैप बनाया, मुख्यमंत्री के रुप में बिहार में सड़कों का जाल बिछाया, बंद पड़े पुल निगम और बीज निगम को शुरू किया। पंचायत और नौकरी में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान किया, स्कूली बच्चों के लिए साइकिल और पोशाक योजना, राज्य के हर गांव में बिजली पहुंचाई, भागलपुर दंगा पीड़ितों को हर माह पांच हजार पेंशन का प्रावधान, मदरसा शिक्षकों को पुनरीक्षित वेतनमान दिया,नालंदा में आयुध कारखाना,दीघा, कोसी और मुंगेर में रेल पुल, पटना में आईसीएसआर का क्षेत्रीय कार्यालय बनाया।

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तेजस्वी यादव
महागठबंधन के सीएम का चेहरा
तेजस्वी यादव को सियासत का बहुत कम अनुभव है। 2015 में विधानसभा चुनाव में पहली बार उतरे और जीतकर विधायक बने। लेकिन उनके खाते में सामाजिक बदलाव के लिए पिता लालू यादव द्वारा किए गए कार्य हैं। नीतीश मंत्रिमंडल में वे उप मुख्यमंत्री बने। 20 महीने तक इस पद पर रहते समय उनके पास सड़क व भवन विभाग था। लेकिन जेडीयू के महागठबंधन से बाहर होने के बाद एनडीए की सरकार बनी और तेजस्वी मंत्रिमंडल से बाहर हो गए। एक ही कार्यकाल में वे जहां डेप्यूटी सीएम रहे, वहीं बाद में वे विपक्ष के नेता रहे।

प्रमुख उपलब्धियां
राजनैतिक जीवन छोटा होने के कारण तेजस्वी यादव के पास बहुत ज्यादा उपलब्धियां नहीं है। पथ निर्माण के रुप में पटना में गंगा पर छह लेन का पुल पहली बार बना, जो उनकी बड़ी उपलब्धि है। छपरा में पहला डबल डेकर पुल का प्रस्ताव उन्होंने दिया। पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए आवाज उठाते रहे हैं। पार्टी को माई समीकरण से निकालकर ए टू जेड की पार्टी बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही।

उपेंद्र कुशवाहा
ग्रांड डेमोक्रेटिक सेकुलर एलायंस के सीएम का चेहरा
उपेंद्र कुशवाहा का राजनैतिक जीवन लंबा है। 20 साल पहले पहली बार विधायक बनकर राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। पहले वह जेडीयू में थे। बाद में 2103 में रालोसपा नाम से अपनी पर्टी बनाई।

विधायक बने
वर्ष 2000 में पहली बार विधायक बने। विधान सभा के उप नेता और फिर विफक्ष के नेता नियुक्त किए गए।

सांसद बने
-2010 में जेडीयू के कोटे से राज्य सभा गए
-2014 में एनडीए में शामिल हुए और सांसद बने
-2013 में केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री बने

प्रमुख काम
मोतिहारी और बोधगया में केंद्रीय विश्विद्यालय शुरू कराया। औरंगाबद के गोह और नवादा में केंद्रीय विद्यालय को स्वीकृति दिलाई। शिक्षा में सुधार को लेकर लगातार संघर्ष करते रहे।

पप्पू यादव
प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन के सीएम का चेहरा
पहली बार 1990 में विधायक बने
पहली बार 1910 में पूर्णिया से सांसद बने

उसके बाद पांच बार सासंद रहे
वर्ष 2015 में लोकसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद चुने गए
वर्ष 2015 में अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी का गठन

काम
पप्पू यादव के नाम कई सामाजिक कार्य हैं। पिछले साल बाढ़ पीड़ितो के लिए उन्होंने बहुत ही सराहनीय काम किया। इससे पहले भी हर तरह के आपदा के समय वे लोगों की मदद करते रहे हैं।

चिराग पासवान
लोजपा के सीएम का चेहरा
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष 2014 और 2019 में जमुई संसदीय क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमाई और जीतने में सफल हुए।
उनका राजनैतिक जीवन बहुत ही छोटा है। उनकी खुद की पहचान अभी तक सिर्फ एक बिहार के उभरते हुए दलित नेता के रुप में है। उन्हें यह पहचान भी अपने पिता रामविलास पासवान से विरासत में मिली है। चिराग को अपने पिता के निधन के कारण सहानुभूति लहर का फायदा मिल सकता है। उनकी अपनी उपलब्धि तो फिलहाल कुछ ज्यादा नहीं है लेकिन वे नीतीश कुमार को निशाना बनाकर खुद को उनके समकक्ष साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि उनकी मेहनत और जुझारुपन को देखकर यह कहा जात सकता है कि वे राजनीति में लंबी पारी खेलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने चिराग पासवान फाउंडेशन नाम से एक ट्रस्ट का गठन बनाया है। उनका दावा है कि वे इसके माध्यम से गरीब विद्यार्थियों की शिक्षा में मदद करते हैं।

पुष्पम प्रिया चौधरी
स्वघोषित दावेदार
जेडीयू के पूर्व एमएलसी विनोद चौधरी की पुत्री हैं। पहली बार मार्च 2020 में राजनीति में प्रवेश किया है। उन्होंने राजनीति में पदार्पण करते ही खुद को बतौर मुख्यमंत्री पेश कर दिया। राजनीति में अब तकर उनकी कोई उपल्धि नहीं है। इस बार के चुनाव में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की हैं। उनकी पार्टी का नाम प्लुरल्स पार्टी है। उन्होंने पटना के बांकीपुर क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया है।

 

 

 

 

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