जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने 14 फरवरी को बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी से मुलाकात की थी, वहीं सीपीआई के विधायक सूर्यकांत पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। इसके बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। फिलहाल इस मामले में कन्हैया और सूर्यकांत पासवान ने कोई बयान नहीं दिया है। इस वजह से राजनैतिक रहस्य गहराता जा रहा है।
सीपीआई के जिला मंत्री ने कही ये बात
इस बीच बेगूसराय में सीपीआई के जिला मंत्री अवधेश राय ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि कन्हैया कुमार ने यह मुलाकात समस्याओं को लेकर की थी। जिला मंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री और अशोक चौधरी मंत्री हैं। ऐसे में जन समस्याओं को लेकर उनसे मिलना कोई अनहोनी नहीं है। इसका ये अर्थ नहीं निकलता कि कन्हैया कुमार जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो जाएंगे। उन्होंनं विभिन्न समस्याओं को लेकर यह मुलाकात की है। राय ने कहा कि कन्हैया कुमार कट्टर वामपंथी विचारधारा के हैं और वे पूंजीपतिवादी दल में कभी भी शामिल नहीं होंगे। हां, अगर नीतीश कुमार भाजपा से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होते हैं तो उनका स्वागत है।
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सीएम के खास हैं अशेक चौधरी
बता दें कि हाल ही में हुए चुनाव में अशोक चौधरी पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष के रुप में कार्यरत थे। वे सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। चौधरी ने हाल ही में बसपा के एकमात्र विधायक जमा खान और निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को जेडीयू में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन दोनों को हाल ही में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इसके साथ ही चौधरी ने लोक जनशक्ति पार्टी के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह को भी अपने आवास पर आमंत्रित किया था।
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क्या कहते हैं विभिन्न पार्टियों के नेता?
भारतीय जनता पार्टी कोटे के राज्यमंत्री सुभाष सिंह ने कन्हैया कुमार को मानसिक रोग से ग्रसित बताते हुए अपनी सहयोगी पार्टी के मंत्री से उनकी मुलाकात को ठीक नहीं बताया है। जबकि जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा है कि अगर कन्हैया कुमार अपनी विकृत मानसिकता को छोड दें तो जेडीयू में उनका स्वागत है।
न घर के, न घाट के रह गए हैं कन्हैया
- कन्हैया कुमार की अशोक चौधरी से ऐसे समय में मुलाकात हुई है,जब भाकपा ने हाल ही में उनके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था। यह कार्रवाई यहां के राज्य पार्टी मुख्यालय से जुड़े दल के एक प्रमुख पदाअधिकारी के साथ मारपीट को लेकर की गई थी।
- इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान कन्हैया और पार्टी के बीच मतभेद बढ़ गया था। भाकपा ने चुनाव के लिए लोगों से प्राप्त चंदे का एक हिस्सा पार्टी के साथ साझा करने के लिए दबाव डाला था।
- कन्हैया कुमार ने अपने गृह नगर बेगूसराय से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह से वे बुरी तर हार गए थे।