महाराष्ट्र में नगराध्यक्ष और सरपंच का चुनाव सीधे जनता से कराने संबंधी विधेयक 22 अगस्त को विधानसभा में बहुमत से पारित किया गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि नगराध्यक्ष और सरपंच का प्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने की मांग जनता की ही थी, यह हमारा एजेंडा नहीं है। नगराध्यक्ष चुनाव सीधे जनता से कराए जाने का निर्णय वर्ष 2006 में लिया गया था।
सदन में हुई चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि सवाल है कि यह निर्णय आपने बदला क्यों नहीं? नगर विकास मंत्री जब कोई निर्णय लेता है तो वह एक मंत्री का नहीं, सभी मंत्रियों का निर्णय होता है। एकाध वार्ड में कोई अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति पैसे के बल पर चुनकर आ सकता है, लेकिन संपूर्ण शहर में पैसे के बल पर चुनाव नहीं जीत सकता। नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार के सवाल पर उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि विपक्ष की मांग है कि मुख्यमंत्री भी सीधे जनता से चुना जाए, लेकिन इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा? हमारी सरकार संविधान के अनुसार काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरपंच का चुनाव सीधे जनता से कराया जाए, यह मांग महाराष्ट्र राज्य सरपंच परिषद में की गई थी। हमने यह मांग मंजूर की है, हम जनता की मांगों पर काम करते हैं। हम अपना एजेंडा लागू नहीं करते हैं, जनता की इच्छा के अनुसार हम काम करते हैं।
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देवेंद्रजी और मैं हूं साथ-साथ..मेरा नाम है एकनाथ
मुख्यमंत्री शिंदे के अनुसार विपक्ष का कहना है कि मैं सक्षम नहीं हूं। यदि मैं सक्षम नहीं होता तो इतना बड़ा कार्यक्रम कैसे करता? करेक्ट कार्यक्रम किया या नहीं। जयंतराव मुझसे मिले और कहा कि यह कैसे हुआ? पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर ताना मारते हुए शिंदे ने कहा कि अजीत दादा वे आपकी सुनते थे, इसलिए हमारी नहीं सुनते थे। देवेंद्रजी और मैं हूं साथ-साथ..मेरा नाम है एकनाथ। शिंदे के यह कहने पर सदन में हंसी के ठहाके लगे।