BJP: शानदार और सफल है नये चेहरों पर दांव लगाने की भाजपा की रणनीति, जानिये कब-कब पार्टी ने चौंकाया

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस को छोड़ दें तो राजस्थान में भजन लाल शर्मा ,मध्य प्रदेश में मोहन यादव, छत्तीसगढ़ में विष्णु देव सहाय ,उड़ीसा के मोहन चरण मांझी आदि के बारे में कल्पना नहीं थी कि वो मुख्यमंत्री बन सकते हैं ।

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BJP: भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अपने मुख्यमंत्री चयन और चुनाव राजनीति में नये – नये प्रयोग कर रहा है । इसका सुखद परिणाम भाजपा नीत राजग गठबंधन को मिल रहा है । 21 राज्यों में भाजपा शासन में है । दिल्ली में भाजपा की जीत और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के चयन ने एक बार फिर भाजपा की दूरगामी राजनीति का परिचय दिया है । दिल्ली भाजपा के निर्वाचित विधायकों में से कई अनुभवी  रेखा गुप्ता से ज्यादा वजनदार नजर आएंगे लेकिन भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने महिला मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार विधायक बनी रेखा गुप्ता पर अपना विश्वास व्यक्त किया। पार्टी में मुख्यमंत्री का चयन अलग तरह से हो रहा है तो इसके पीछे नेतृत्व ,संगठन और दिशा की दृष्टि से दूरगामी योजनाएं होगी ।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस रहे अपवाद
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस को छोड़ दें तो राजस्थान में भजन लाल शर्मा ,मध्य प्रदेश में मोहन यादव, छत्तीसगढ़ में विष्णु देव सहाय ,उड़ीसा के मोहन चरण मांझी आदि के बारे में कल्पना नहीं थी कि वो मुख्यमंत्री बन सकते हैं । महाराष्ट्र मे 2024 में अवश्य देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे किंतु जब 2014 में उनको लाया गया था, तब उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना बेहद कम थी । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बारे में भी कल्पना नहीं थी । 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा परिणाम आने के बाद योगी आदित्यनाथ का नाम नहीं था। उन्हें विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ाया गया था। भारत की राजनीति में लंबे समय से हम शीर्ष पर जाने -पहचाने चेहरे देखने के अभ्यस्त थे । इसलिए भाजपा के निर्णय चौकाते हैं । लेकिन इन निर्णयों में वैचारिक ,सांगठनिक दृष्टि दिखाई देती है ।

मोदी उदय के बाद भाजपा ने पाया विस्तार
जरा पीछे देखें तो वर्ष 2000 में भाजपा में आंतरिक कलह थी और चुनावों में मिलने वाली पराजय के बाद ये कड़ी लंबी होती जा रही थी । के.एन गोविंदाचार्य , कल्याण सिंह , उमा भारती ,तपन सिकदर, मदनलाल खुराना जैसे बड़े नेता पार्टी से विद्रोह कर चुके थे । जसवंत सिंह को तो पार्टी से निकाल दिया गया था ।

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संघ में जड़ें
2013-2014 के दौर में आम धारणा थी कि भाजपा 180-182 सीटों का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी । लेकिन नरेन्द्र मोदी बहुमत पाकर प्रधानमंत्री बने। गृहमंत्री अमित शाह का पार्टी अध्यक्ष बनना पार्टी के लिए सही साबित हुआ । ये महत्वपूर्ण है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को छोड़ दें तो अधिक मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष . आरएसएस , एबीवीपी की पृष्ठभूमि से भाजपा में आए हैं।

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