Delhi Municipal Corporation में वार्ड कमेटी के चुनाव से पहले भाजपा की बढ़ी ताकत, जानिये पूरा गणित

दिल्ली नगर निगम में दल बदल कानून लागू नहीं होता और ना ही यहां पर विह्प लागू होता है। सभी पार्षद अपनी स्वेच्छा से किसी भी दल का किसी भी मुद्दे पर समर्थन कर सकते हैं।

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Delhi Municipal Corporation में वार्ड कमेटी के चुनाव कराने की घोषणा होते ही बीजेपी और आम आदमी पार्टी में शह- मात का खेल शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी के पांच पार्षदों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इसके साथ ही बीजेपी को सेंट्रल वार्ड और नरेला वार्ड कमेटी में अब बहुमत हासिल हो गया है।

दोनों के संख्याबल बराबर
आम आदमी पार्टी के पांच पार्षदों के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी को राजनीतिक तौर पर तो मजबूती मिली ही है, दिल्ली नगर निगम में विपक्ष में होने के बावजूद बीजेपी स्थाई समिति के अध्यक्ष और डिप्टी चेयरमैन बनने की दौड़ में प्रबल दावेदार बन गई है। दिल्ली नगर निगम में 12 वार्ड कमेटियां हैं। इसमें चार वार्ड कमेटियां शाहदरा साउथ, शाहदरा नॉर्थ, केशव पुरम और नजफगढ़ में बीजेपी के पास बहुमत था।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा उपराज्यपाल के एल्डरमैन की नियुक्ति को सही ठहराने का फायदा बीजेपी को तीन जोन में मिला। आप आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों के बीजेपी में शामिल होने से सेंट्रल जोन में बीजेपी का बहुमत हो गया है। नरेला में भी बीजेपी का दो पार्षदों के आने से बहुमत हो गया है। बीजेपी का स्थाई समिति के लिए 7 जोन में बहुमत होने से वह अपने 12 में से 7 सदस्य जीता सकती है।

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नहीं लागू होता है दल बदल कानून
दिल्ली नगर निगम में दल बदल कानून लागू नहीं होता और ना ही यहां पर विह्प लागू होता है। सभी पार्षद अपनी स्वेच्छा से किसी भी दल का किसी भी मुद्दे पर समर्थन कर सकते हैं। इससे उनकी सदस्यता पर कोई खतरा नहीं आता है। यही वजह है कि पार्षद अपनी सहूलियत और विचार के हिसाब से दल बदल एक से अधिक बार करते रहते हैं।

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