क्या है महाराष्ट्र सरकार पर बीजेपी का नया वॉर?

सोमैया ने आरोप लगाया कि मुंबई के अंधेरी स्थित दो हजार वर्ष पुराने महाकाली गुफा जानेवाली सड़क का करोड़ों रुपए का टीडीआर अविनाश भोसले और शाहिद बलवा की कंपनी को देने निर्णय लिया गया है। उन्होंने इसके लिए ठाकरे सरकार और महानगरपालिका को जिम्मेदार ठहराया है।

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शिवसेना और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए आक्रामक रुख अपना चुके भारतीय जनता पार्टी नेता किरीट सोमैया ने एक बार फिर उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे ने अब गुफा के पास की सड़क बेचने का व्यवसाय शुरू किया है।

सोमैया ने आरोप लगाया कि मुंबई के अंधेरी स्थित दो हजार वर्ष पुराने महाकाली गुफा जानेवाली सड़क का करोड़ों रुपए का टीडीआर अविनाश भोसले और शाहिद बलवा की कंपनी को देने निर्णय लिया गया है। उन्होंने इसके लिए ठाकरे सरकार और महानगरपालिका को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि ठाकरे सरकार और मनपा ने नये साल का यह तोहफा बलवा एंड भोसले कंपनी को दे दिया है। उन्होंने महाकाली गुफा जानेवाली सड़क का विकास का अधिकार( टीडीआर) 73 करोड़ में उनकी कंपनी को देने का निर्णय लिया है।

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  • सोमैया के आरोप
    अंग्रेजों ने महाकाली गुफा के पास की जमीन 1 अगस्त 1805 को 999 वर्षों के लिए लीज पर दी है। 1909 में भारत सरकार ने इस गुफा और इसके पास-पास की जमीन को प्रोटेक्टेड लैंड घोषित किया। 1913 में इसे लेकर फर्नांडीस/ रिबेलो परिवार से भारत सरका का समझौता हो गया।
  • 100 वर्षो तक मुआवजे /टीडीआर को लेकर किसी ने कोई बात नहीं कही। कई सालों बाद शाहिद बलवा, अविनाश भोसले व विनोद गोयनका ने इसे खरीद ली।
  • 2013 में महानगरपालिका ने इस मांग को खारिज कर दिया। महाकाली गुफा हजारों वर्ष पुराना होने के कारण यह भारत सरकार के आर्केलॉजिकल विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। मनपा ने कहा कि इस वजह से इसका टीडीआर नहीं दिया जा सकता।
  • 2014 में इस कंपनी ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। लेकिन इस पर छह साल बाद भी कोई फैसला नहीं किया गया।
  • 2019 में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने पर सब नियम-कानून बदल गए और 7 अक्टूबर 2020 को शिवसेना विधायक दिलीप लांडे ने एक पत्र लिखा । उस पत्र के आधार पर ठाकरे सरकार और महानगरपालिका ने महाकाली गुफा की फाइल को झाड़-पोछकर बाहर निकाला।
  • इसके बाद इसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। लेकिन हाई कोर्ट द्वारा उनकी मांग मानने से इनकार करने के बाद महानगरपालिका ने मैनिप्लुटेड तरीके से लीगल ओपिनियन लेने का निर्णय लिया।

सोमैया का दावा
मुबंई महानगरपालिका की एक जानकारी 24 दिसंबर 2020 मेरे हाथ लगी है। इसमें स्पष्ट रुप से लिखा गया है कि इसका विकासधिकार शाहिद बलवाव अविनाश भोसले बिल्डर्स को दिया जाना चाहिए। इसके लिए  भारत सरकार और उच्च न्यायालय की मंजूरी लेने की कोई जरुरत नहीं है। महानगरपालिका ने बिल्डर्स की मांग को मंजूर करते हुए इसका विकासधिकार देने का मत व्यक्त किया।

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