Karnataka News: भाजपा ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा, CM सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का लगाया आरोप

केंद्रीय राज्य मंत्री करंदलाजे ने आरोप लगाया कि 187 करोड़ रुपये के महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम घोटाले की जांच से खुलासा हुआ कि इस धनराशि का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव में किया गया।

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भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने कर्नाटक (Karnataka) में कांग्रेस सरकार (Congress Government) पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) पर भ्रष्टाचार (Corruption) का आरोप (Allegations) लगाया है। भाजपा ने भ्रष्टाचार में लिप्त होने के लिए मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है। मंगलवार (16 जुलाई) को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि कर्नाटक पिछले एक साल से महिला अत्याचार और हत्या के लिए सुर्खियों में है।

पिछले एक साल से राज्य में कांग्रेस की सरकार है, हमारी विधानसभा में पहली बार पाकिस्तान जिंदाबाद नारे लगाए गए। कॉलेज के बच्चों की हत्याएं हो रही हैं, लेकिन राज्य सरकार इन अपराधियों की रक्षा करने का काम कर रही है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया राज्य के विकास के बारे में नहीं सोचते हैं। मुख्यमंत्री खुद भ्रष्टाचार में फंसे हुए हैं। इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

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कर्नाटक सरकार कांग्रेस पार्टी का एटीएम
केंद्रीय राज्य मंत्री करंदलाजे ने आरोप लगाया कि 187 करोड़ रुपये के महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम घोटाले की जांच से खुलासा हुआ कि इस धनराशि का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव में किया गया। इस धनराशि का इस्तेमाल हैदराबाद के चुनाव में इस्तेमाल किया गया। इसके लिए मुख्यमंत्री दोषी हैं और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्हाेंने आराेप लगाया कि कर्नाटक सरकार कांग्रेस पार्टी का एटीएम हो गया है। कर्नाटक के अनुसूचित जाति और गरीबों का पैसा तेलंगाना में खर्च किया गया है। संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है।

पूरी तरह से कानून का उल्लंघन
करंदलाजे ने कहा कि मुख्यमंत्री की पत्नी, पार्वती सिद्धारमैया ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण(एमयूडीए) में 14 साइटों को गैरकानूनी तरीके से अधिग्रहित किया है। 1992 में, एमयूडीए ने केसारे गांव में जमीन का अधिग्रहण किया और 3.81 लाख रुपये का मुआवजा दिया। लेकिन पार्वती सिद्धारमैया ने लेने से मना कर किया। तब 1992 में सिद्धारमैया वित्त मंत्री थे। 1998 में जब वह डिप्टी सीएम थे तब भी वे इस मामले में चुप थे। फिर उन्होंने एमयूडीए से ज्यादा मुआवजा मांगा। साल 2022 में, पार्वती सिद्धारमैया को केसारे गांव में अधिग्रहित की गई 14 जगहें दी गईं, यह पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है। सिद्धारमैया को तुरंत अपना इस्तीफा दे देना चाहिए। इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। जब भी उनकी पत्नी को जगहें दी गईं, तब-तब सिद्धारमैया ‘लाभ के पद’ पर रहे।यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार का मामला बनता है। (Karnataka News)

(इनपुट – हिन्दुस्थान समाचार)

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