देश की सबसे बड़ी महानगरपालिका मुंबई का चुनाव बारिश बाद होने की संभावना है। हालांकि इसकी तैयारी सभी महत्वपूर्ण पार्टियों ने काफी पहले से शुरू कर दी है। पिछले लगभग 26 साल से बीएमसी पर राज कर रही शिवसेना की कोशिश है कि वह अपने इस किले को सुरक्षित रखे, जबकि कभी उसके साथ सत्ता में शामिल रही भारतीय जनता पार्टी के अलग होने से राजनैतिक समीकरण बदलता नजर आ रहा है। भाजपा की कोशिश इस बार शिवसेना को उखाड़कर महानगरपालिका मुख्यालय पर भगवा फहराने की है। उसके इस मिशन में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इन पार्टियों के आलावा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी इस चुनाव में अपना जलवा दिखाने की कोशिश कर रही है।
बीएमसी चुनाव 2022 में हर बार की तरह इस बार भी उत्तरभारतीय मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। बल्कि बदले हुए राजनैतिक परिदृश्य में उत्तरभारतीय नेताओं और मतदाताओं की भूमिका और बढ़ गई है। 50 से 60 लाख उत्तर भारतीय( हिंदी भाषी) वाले इस महानगरपालिका के चुनाव परिणाम किस तरह इनसे प्रभावित होगा, यह समझना मुश्किल नहीं है। निश्चित रूप से इनके मत बीएमसी चुनाव में पार्टियों की दिशा और दशा तय करने में महत्वपूर्ण रोल निभाएंगे।
यहां हम जानते हैं उन नेताओं के बारे में, जिनका बीएमसी चुनाव 2022 में दिखेगा जलवा
कृपाशंकर सिंह
कृपाशंकर सिंह उत्तर भारतीयों में पैठ रखने वाले बड़े नेता हैं। 7 जुलाई 2021 में कांग्रेस को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए कृपा शंकर सिंह महाराष्ट्र के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस के खास माने जाते हैं। वे काग्रेस के कार्यकाल में प्रदेश के गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं। कृपाशंकर सिंह 2011 तक मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। महानगरपालिका चुनाव 2022 में उनकी उत्तर भारतीयों पर पकड़ की परीक्षा होगी। क्योंकि उनके भाजपा में शामिल होने के बाद मुंबई में ऐसी कोई राजनैतिक गतिविधि नहीं हुई है, जिसमें उनकी ताकत तौली जाए। बीएमसी चुनाव में अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो उसमें उत्तर भारतीय नेताओं और खासकर कृपाशंकर सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। फडणवीस के उत्तरभारतीयों से अच्छे संबंध इसमें मददगार साबित होंगे।
राजहंश सिंह
राजहंस सिंह कभी कांग्रेस के लोकप्रिय नेता रहे हैं। उनका नगरसवेक से विधायक बनने तक का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। बाद में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना की जब महाराष्ट्र में सरकार बनी तो सितंबर 2017 में वे हाथ का साथ छोड़कर कमल के साथ हो लिए।15 साल तक पार्षद रहे राजहंस सिंह 8 वर्ष तक बीएमसी में विपक्ष के नेता रहे। उन्होंने पहली बार 1992 में नगरसवेक का चुनाव जीता और बाद में 2002 से 2012 तक लगातार नगरसेव रहे। इसके बाद वे दिंडोशी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक बने। वे 40 वर्षों तक कांग्रेस में रहे। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मूल निवासी राजहंस सिंह को भाजपा ने उन्हें विधान परिषद का उम्मीदवार बनाया था। वार्ड स्तर से जुड़े सिंह की इस चुनाव में परीक्षा होगी। भाजपा को उनसे काफी उम्मीद है। देखना है कि वे उन उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं।
मंगल प्रताप लोढ़ा
मंगल प्रभात लोढ़ा वर्तमान में मुंबई भाजपा के अध्यक्ष हैं और वे काफी सक्रिय रहते हैं। आशीष शेलार के बाद इस पद नियुक्त किए गए लोढ़ा व्यापारी और मशहूर भवन निर्माता हैं। मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले लोढ़ा मुंबई मालाबार हिल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। 17 जुलाई 2019 को मुंबई भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए मंगल प्रभात लोढ़ा ने 1980 में लोढ़ा समूह की स्थापना की। पिछले कुछ वर्षों से पूरी तरह राजनीति के अखाड़े में उतर चुके मंगल प्रभात लोढ़ा की इस चुनाव में परीक्षा होगी। मुंबई के अध्यक्ष होने के नाते मुंबई महानगरपालिका चुनाव में भाजपा को बहुमत दिलाकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने की उनकी जिम्मेदार है।
मोहित कंबोज
केबीजे डेवलपर के मालिक मोहित कंबोज( भारतीय) भारतीय जनता पार्टी के काफी मुखर और सक्रिय नेता हैं। वे युवास्था से ही भाजपा के लिए काम कर रहे हैं और उनकी पहचान एक उभरते हुए बड़े नेता के रूप में है। भारतीय युवा मोर्चा के कई पदों पर रह चुके मोहित कंबोज ने 2014 में दिंडोशी विधानसभा से भाजपा के उम्मीदवार थे। 2012 से 2019 तक इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। फडणवीस के साथ उनके मधुर संबंध हैं। पंजाब के अमृतसर में जन्मे मोहित कंबोज निश्चित रूप से बीएमसी चुनाव 2022 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
भाजपा के पास उत्तरभारतीय नेताओं की फौज
इसके साथ ही भाजपा के पास उत्तरभारतीय नेताओं की पूरी फौज है। इनमें पूर्व मंत्री विद्या ठाकुर, जय प्रकाश ठाकुर, संजय पांडे, संजय उपाध्याय आदि शामिल हैं।
नवाब मलिक
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के मूल निवासी नवाब मलिक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। विवादों में घिरे अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वे वर्तमान में मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद हैं। वे महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक मंत्री और राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। उत्तर भारतीयों और खास कर मुस्लिम समाज पर उनकी अच्छी पकड़ होने के बावजूद यह कहना मुश्किल है कि मुंबई महानगरापालिका चुनाव मे वे उन्हें वोटों में कनवर्ट कर पाएंगे। वे महाराष्ट्र सरकार में आवास मंत्री भी रह चुके हैं। 1984 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा। अबू आजमी के साथ मतभेदों के कारण वे सपा छोड़कर राकांपा में शामिल हो गए। 1999 में वे कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सरकार में मंत्री बने। 1996,1999, 2004 और 2009 में वे नेहरु नगर से विधायक चुने गए। वर्तमान में कुर्ला अणुशक्ति नगर से विधायक हैं।
नसीम खान
कांग्रेस की स्थिति पूरे देश के साथ ही महाराष्ट्र में भी बिगड़ती जा रही है। नाना पटोले के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उत्तर भारतीय नेता पार्टी से दूर चले गए हैं। कहने के लिए पार्टी के पास पूर्व मंत्री नसीम खान, संजय निरुपम, प्रिया दत्त और बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी जैसे कई नेता हैं, लेकिन मुंबई की बात करें तो अभी तक ये अधिक सक्रिय नहीं दिखते। मूल रुप से बिहार के अररिया जिले के रहने वाला सिद्दीकी परिवार बिहार में भी काफी सक्रिय रहते हैं। हालांकि बांद्रा विधानसभा के उनके क्षेत्र को छोड़ दें तो मुंबई के स्तर पर इनकी पार्टी में बड़ी भूमिका नहीं होती।
शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना
शिवसेना और महाराष्ट्र नविनिर्माण सेना में ऐसा कोई बड़ा उत्तरभारतीय चेहरा नहीं दिखता, जिनके दम पर पार्टी बड़े पैमाने पर उत्तर भारतीय मतदाताओं को रिझा सके। मराठी वोट बैंक की बदौलत हि शिवसेना के जलवे अबतक कायम हैं। लेकिन इस बार भाजपा से अलग होने के कारण उसके वोट बैंक प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता। इस बार मनसे का जलवा भी बीएमसी चुनाव में दिख सकता है।