योगी आदित्यनाथ सरकार-2 में ब्रजेश पाठक दूसरे उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं। पार्टी की तरफ से उन्हें ब्राह्मण चेहरे के रूप में आगे किया गया है। छात्र जीवन से सियासी पारी शुरू करने वाले पाठक मुख्य धारा की राजनीति में आए तो शुरुआत अच्छी नहीं रही। कांग्रेस से विधानसभा चुनाव हार गए लेकिन बसपा से लोकसभा चुनाव जीत कर उन्होंने बड़ी शुरुआत की। मौके की नजाकत को समझते हुए पाठक ने भाजपा का दामन थामा। पहले वह मंत्री बनाए गए और अब उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं।
बड़ा ब्राम्हण चेहरा
ब्रजेश पाठक उप्र भाजपा का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ की राजनीति से सियासी पारी शुरू की। 1989 में लविवि छात्रसंघ के उपाध्यक्ष बने और 1990 में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए। पाठक ने कांग्रेस में शामिल होकर मुख्य धारा की राजनीति शुरू की। पाठक कांग्रेस के टिकट पर हरदोई की मल्लावां सीट से चुनाव लड़े लेकिन हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2004 में वह बसपा में शामिल हुए और उन्नाव संसदीय सीट से चुनाव लड़े। सांसद बने और संसद में वह बसपा के उपनेता बनाए गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें एक बार फिर उन्नाव से चुनाव लड़ाया। मोदी लहर में वह चुनाव हार गए। इसके बाद भाजपा की ओर रुख किया।
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हाथी छोड़ बने भाजपा के साथी
ब्रजेश पाठक 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। पहली बार वह भाजपा के टिकट पर लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये थे। योगी सरकार-1 में पाठक कानून मंत्री बने। पूरे पांच साल तक कार्यकर्ताओं के बीच उनकी सक्रियता दिनेश शर्मा पर भारी पड़ी। बाहरी होने के बावजूद पाठक की भाजपा में मजबूत पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें राजधानी लखनऊ की भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में से एक कैंट क्षेत्र से चुनाव लड़ाया गया। पिछली बार वह जिस लखनऊ मध्य सीट से चुनाव लड़े थे, भाजपा को वहां इस बार हार का सामना करना पड़ा है। दिनेश शर्मा को संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है।