आंतकवाद (terrorism) पर दोहरा रवैया (double standards) स्वीकार नहीं किया जाएगा। दक्षिण अफ्रीका में संपन्न हुए BRICS सम्मेलन में पांच देशों ने जो संयुक्त घोषणापत्र (joint declaration) जारी किया, उसमें स्पष्ट रूप से यह सहमति हुई है। लेकिन, प्रमुख मुद्दा है आतंकवाद को बढ़ावा देनेवाले पाकिस्तान (Pakistan) को लेकर कि, क्या चीन (China) अपने दोस्त को बचाने के लिये जो चालबाजियां (gimmicks)चलता है उस पर भी रोक लगेगी?
चीन करता विटो का दुरुपयोग
चीन का इतिहास रहा है कि, वह भारत में होनेवाले आतंकी हमलों के जिम्मेदार आतंकियों को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में अपने विटो का उपयोग करता रहा है। लेकिन ब्रिक्स सम्मेलन में जो संयुक्त घोषणा पत्र जारी हुआ है, इसके बाद इस पर लगाम लगे तो बड़ी बात होगी। ब्रिक्स देशों के संगठन की एकता, महत्व और स्थापना के उद्द्श्य तभी प्राप्त हो पाएंगे, जब सभी देश एक दूसरे के हितों का ध्यान रखेंगे। इसमें विश्व में बढ़ता इस्लामी आतंकवाद प्रमुख मुद्दा है।
दोहरे पैमाने पर जताया विरोध
जोहान्सबर्ग (johannesburg) में हुए ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन (Summit) के दौरान सदस्य देशों ने आतंकी गतिविधियों को लेकर दोहरे पैमाने पर एकमत से विरोध जताया। ब्रिक्स देशों ने सीमा पार के आतंकवाद और उसके घटनाक्रम को वित्तीय प्रबंधन के स्रोतों सहित अन्य सभी संबंधित पहलुओं का सामने करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की। भारतीय प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी, ब्राजील के लुइस इनासियों लूला दा सिल्वा और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की उपस्थिति में हुई बैठक की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने की। जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन वीडियो कॉन्फ्रेंस से बैठक से जुड़े।
यह भी पढ़ें – आईआईटी बॉम्बे को मिला “बंपर” दान जानिए कौन है दानदाता
Join Our WhatsApp Community