CAGSC-24: तकनीक के उपयोग से न्याय व्यवस्था होगी अधिक सरलः अमित शाह

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CAGSC-24: केंद्रीय गृहमंत्री (Union Home Minister) अमित शाह (Amit Shah) ने न्यायिक व्यवस्था (judicial system) में तकनीक के उपयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे कार्यप्रणाली अधिक सरल (Methodology more simpleMethodology more simple) हो जाएगी।दिल्ली में 4 फ़रवरी को सीएलईए-कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (CLEA-Commonwealth Attorneys and Solicitors General Conference) (सीएजीएससी-24) के समापन समारोह में शाह ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था के प्रत्येक भाग में तकनीक को शामिल किया जाना बेहद जरूरी है। तीन नए आपराधिक कानूनों (criminal laws) के संदर्भ में शाह ने कहा कि इनके क्रियान्वयन के बाद भारत में दुनिया की सर्वाधिक आधुनिक कानून व्यवस्था होगी।

फोरेंसिक सबूतों को बताया आवश्यक
गृहमंत्री ने कहा कि न्याय को सुलभ, किफायती और जवाबदेह बनाने में तकनीक की बड़ी भूमिका हो सकती है। नए कानूनों में हमने तकनीक और फोरेंसिक विज्ञान के उपयोग को बढ़ावा दिया है। सात साल से ऊपर के अपराधों में फोरेंसिक सबूतों को आवश्यक बना दिया है। कांफ्रेंस के आयोजन को मौजूदा परिस्थितियों से जोड़ते हुए शाह ने कहा कि वर्तमान में अपराध और आर्थिक अपराध किसी दायरे तक सीमित नहीं रहे हैं। केवल आर्थिक अपराध ही नहीं बल्कि अन्य अपराधों को लेकर भी जरूरी व्यवस्था की जानी चाहिए।

आपराधिक न्याय प्रणाली होगी सबसे मजबूत
अमित शाह ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सीएलईए -कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (सीएजीएससी) 2024 में भाग लिया। अमित शाह ने कहा, “आज जिस तरह से परिदृश्य बदल रहा है, मेरा मानना है कि न्यायपालिका को भी बदलना होगा। सीमा पार चुनौतियों को देखते हुए, न्याय की पूरी प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी का उपयोग अपनाना होगा। हम न्याय नहीं दे सकते 19वीं सदी के कानूनों के साथ 21वीं सदी। अब ये तीन कानून जिनका जिक्र सॉलिसिटर जनरल और कानून मंत्री ने किया, मैं ये कहना चाहूंगा कि इन तीनों कानूनों के पूरी तरह लागू होने के बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली सबसे मजबूत हो जाएगी। दुनिया में आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली…”

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