इशरत जहां मुठभेड़ः 17 साल बाद पुलिस वालों को मिला ऐसा न्याय!

2004 में हुए मुठभेड़ मामले में न्यायालय ने अपराध शाखा के तीनों अधिकारी को आरोप मुक्त कर दिया है।

147

इशरत जहां मुठभेड़ मामले में सीबीआई की विशेष न्यायालय ने बड़ा फैसला दिया है। 2004 में हुए इस मुठभेड़ मामले में न्यायालय ने अपराध शाखा के तीनों अधिकारी तरुण बारोट (अब सेवानिवृत), अंजु चौधरी और गिरीश सिंघल को आरोपों से मुक्त कर दिया है। न्यायालय ने माना है कि इशरत जहां लश्कर-ए-तैयबा की आतंकवादी थी।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने विशेष अदालत को वर्ष 2004 के इशरत जहां मुठभेड़ मामले में 20 मार्च को सूचित किया था कि राज्य सरकार ने तीनों आरोपियों के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। इससे पहले न्यायालय ने अक्टूबर 2020 के आदेश में टिप्पणी की थी। न्यायालय ने कहा था कि तीनों पुलिस अधिकारियों ने अपने कर्तव्य के तहत कार्य किया था।

2004 में हुआ था मुठभेड़
बता दें कि 15 जून 2004 को मुंबई के पास स्थित मुंब्रा में रहनेवाली 19 वर्षीय इशरत जहां गुजरात पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारी गई थी। इस मुठभेड़ में इशरत जहां के साथ ही जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजद अली, अकबर अली राणा और जीशान जौहर भी मारे गए थे।

ये भी पढ़ेंः राजस्थान भाजपा में ‘राजे’ का राज खत्म?

पुलिस ने किया था दावा
पुलिस ने दावा किया था कि मारे गए सभी लोग आतंकवादी थे और वे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे। हालांकि उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच टीम ने मुठभेड़ को फर्जी बाताया था। उसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।

Join Our WhatsApp Community

Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.