इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार केंद्र से नाराज!

मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए गंभीर दिख रही है। इसके लिए जीएसटी परिषद की बैठक बुलाई गई है। 17 सितंबर को यह बैठक लखनऊ में होनी है।

133

पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर नियंत्रण के लिए काफी दिनों से उसे जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की जा रही है। उसी के मद्देनजर केंद्र की मोदी सरकार अब इनके साथ ही अन्य पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में लाने के लिए गंभीर दिख रही है। इसके लिए उसने जीएसटी परिषद की बैठक बुलाई है। 17 सितंबर को यह बैठक लखनऊ में होनी है। केंद्र सरकार के इस निर्णय के बाद राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को राजस्व का भारी नुकसान होगा। बैठक में इस नुकसान की भरपाई को लेकर भी चर्चा होने की उम्मीद है। लेकिन बैठक होने से पहले ही केंद्र का विरोध शुरू हो गया है।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस बैठक पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इस तरह के अहम निर्णय लेने से पहले राज्यों को विश्वास में लेना जरुरी है। पवार ने कहा कि इस तरह का निर्णय लेकर केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों में दखल नहीं दे सकती।

केंद्र वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए करे बैठक
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में आमने-सामने की बैठक न संभव न होने पर भी केंद्र सरकार वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक कर सकती है। महाराष्ट्र के साथ ही अन्य राज्यों को भी बैठक में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाकर केंद्र को राज्यों के अधिकारों में दखल नहीं देना चाहिए। पवार ने लखनऊ में बैठक बुलाने पर भी आपत्ति जताते हुए पूछा कि जीएसटी परिषद की बैठक लखनऊ में क्यों हो रही है?

ये भी पढ़ेंः मईया-भईया को उबारेंगे कन्हैया! कांग्रेस का टैलेंट हंट

राज्यों के हितों का ध्यान रखना जरुरी
उपमुख्यमंत्री ने कहा,’ पेट्रोल-डीजल पर एक ही टैक्स लगाने की बात हो रही है। लेकिन किसी ने हमें ऐसा कुछ नहीं बताया। अगर केंद्र पेट्रोल और डीजल पर केंद्र अपना अलग रुख अपनाता है, तो कुछ चीजें राज्यों के खिलाफ जा सकती हैं। अगर बैठक में हमें शामिल किया जाता है तो हम केंद्र को अपने हितों से अवगत करा सकते हैं। केंद्र का काम केंद्र को करना चाहिए, लेकिन उसे राज्यों के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। हमारे अधिकार पर तलवार नहीं चलनी चाहिए। जहां से हमें राजस्व प्राप्त होता है, उसमें स्टैंप ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी और जीएसटी आदि शामिल हैं। हम उन्हें उसी तरह जारी रखना चाहते हैं,जैसा पहले तय किया गया है।’

केंद्र और राज्य दोनों वसूलते हैं टैक्स
पेट्रोल-डीजल पर केंद्र और राज्य दोनों टैक्स वसूलते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसका समाधान तलाशने में जुटी हैं।  वर्तमान में पेट्रोल की कीमत(रिटेल रेट) में 60 फीसदी और डीजल की कीमत में 54 फीसदी तक टैक्स होता है। इस टैक्स में केंद्र और राज्य दोनों का हिस्सा होता है।

ऐसे तय किए जाते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
डीलर को आपूर्ति होनेवाला भाव (बेस प्राइस), एक्साइज( केंद्र सरकार का हिस्सा), डीलर का कमीशन, वैट( राज्य सरकार का हिस्सा)। इन सबको मिलाकर खुदरा बिक्री मूल्य तय किया जाता है।

क्या है ईंधन का बेस प्राइस?
तेल के बेस प्राइस में कच्चे तेल की कीमत, प्रोसेसिंग चार्ज और कच्चे तेल को रीफाइन करने वाली रिफाइनरियों का चार्ज शामिल होता है।

खास बात
बता दें कि अब तक ईंधन को जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है। इस वजह से इस पर एक्साइज ड्यूटी भी लगती है और वैट भी। केंद्र सरकर पेट्रोल की बिक्री पर एक्साइज ड्यूटी वसूलती है ,जबकि राज्य सरकारें वैट वसूलती हैं।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.