Fast Track Court case: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर केन्द्र सरकार ने पलटवार करते हुए कहा कि राज्य को 123 फास्ट ट्रैक कोर्ट आवंटित किए गए थे लेकिन उनमें से एक भी शुरू नहीं किया गया। ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर दुष्कर्म के मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की मांग की थी।
महिला सुरक्षा की जिम्मेदार राज्य सरकार की
26 अगस्त को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर फास्ट ट्रैक कोर्ट को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को आवंटित फास्ट ट्रैक कोर्ट के आंकड़ों के साथ घेरा। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि एक जुलाई से लागू भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं के खिलाफ अपराध के विरुद्ध कड़े प्रावधान किए गए हैं।
2019 में शुरू की गई थी एक योजना
केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के मुद्दे पर लिखा है कि पॉक्सो के मामलों के जल्दी निपटारे के लिए अक्टूबर 2019 में एक योजना शुरू की गई थी। देश भर में तीस जून 2024 को 752 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रहे थे। इस योजना के तहत पश्चिम बंगाल को 123 फास्ट ट्रैक का आवंटन किया गया था, जिसमें से 20 पॉक्सो कोर्ट भी थे। जून 2023 के मध्य तक इनमें से एक भी कोर्ट पश्चिम बंगाल में चालू नहीं हुआ। बाद में संशोधित लक्ष्यों के तहत पश्चिम बंगाल को 17 फास्ट ट्रैक कोर्ट का आवंटन किया गया, जिनमें से तीस जून 2024 को केवल छह पॉक्सो कोर्ट काम कर रहे हैं।
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बलात्कार और पॉक्सो के 48,600 मामले लंबित
अन्नपूर्णा देवी ने पत्र में कहा कि यह तब है, जब पश्चिम बंगाल में बलात्कार और पॉक्सो के 48,600 मामले लंबित हैं और राज्य सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट को चालू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। मंत्री ने कहा कि मौजूदा कानूनी फ्रेमवर्क महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराध रोकने में सक्षम है।