पांच राज्यों के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतार कर अपने विरोधियों के साथ-साथ अपनों को भी चौंका दिया था। राजस्थान में स्थापित नेता वसुंधरा राजे सिंधिया और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न करके नया दांव चला था। बीजेपी का ये प्रयोग पांच राज्यों में वोटिंग से पहले इसका असर दिखने लगा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और जनता के बीच मामा के नाम से लोकप्रिय शिवराज सिंह चौहान को भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री घोषित न करने का फायदा मिलने लगा है। उनको जनता की सहानुभूति मिल रही है। कहा जा सकता है की काफी हद तक इससे एंटी इनकंबेंसी कम हो रही है।
चुनावी मंचों पर शिवराज के काम की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतलाम की चुनावी रैली में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काम की तारीफ की। इससे लगता है कि शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के लिए मजबूरी बन गए।
सर्वे में सबसे आगे शिवराज
कई सर्वे मध्य प्रदेश में बीजेपी को कांग्रेस से पीछे दिखा रहे थे । लेकिन जब बात मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की आती है तो शिवराज सिंह चौहान लोगों की पसंद होते हैं। तकरीबन 37 फ़ीसदी लोगों ने शिवराज सिंह चौहान को अपनी पसंद बताया कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को 36 फ़ीसदी लोगों ने अपनी पसंद बताया। । जब बीजेपी ने अपने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत आठ चेहरों को मैदान में उतारा तो बीजेपी की चुनावी सभाओं में पार्टी नेता शिवराज सिंह चौहान के नाम को लेने से भी बच रहे थे।
कांग्रेस का ओबीसी कार्ड बना शिवराज सिंह चौहान का मददगार
कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड खेलते हुए यह कहना शुरू कर दिया कि कांग्रेस के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ रमैया ओबीसी समुदाय से आते हैं। लेकिन बीजेपी में अकेले शिवराज सिंह चौहान ओबीसी मुख्यमंत्री हैं।
शिवराज दिग्गज नेता
अपने 4 बार के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के बड़े नेता बन गए। शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई लाडली योजना का असर मध्य प्रदेश की जनता पर दिख रहा है
बीजेपी का डैमेज कंट्रोल
जिस तरह से मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को जनता का समर्थन मिल रहा है, उसको देखते हुए बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया। बीजेपी ने अब शिवराज सिंह चौहान को महत्व देना शुरू कर दिया है क्योंकि कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश की हार से बीजेपी ने सबक लेते हुए अपनी रणनीति बदल दी है ।