उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री भेंट: ऐसी भी क्या बात थी जो अपने ही नेताओं के सामने नहीं हो पाती?

राजनीति में सबकुछ परिवर्तनशील होता है। कोई किसी का न स्थाई मित्र होता है और न ही स्थाई शत्रु ,यही देखने को मिला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भेंट में।

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मराठा आरक्षण समेत राज्य के विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री से भेंट की है। इस बैठक में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, लोकनिर्माण मंत्री व मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण भी उपस्थित थे। लेकिन इसके बाद प्रधानमंत्री से उद्धव ठाकरे ने अकेले में भी भेंट की। इस भेंट में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के अलावा कोई शामिल नहीं था। जिसे लेकर अब प्रश्न उठने लगा है कि ऐसी भी क्या बात थी जो महाविकास आघाड़ी के दो प्रमुख दलों के नेताओं के सामने उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री से नहीं करना चाहते थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे के मध्य तीस मिनट तक चर्चा हुई। जिसे लेकर राजनीतिक जोड़तोड़ की चर्चाएं भी चल पड़ी हैं। कुछ लोग इसे भारतीय जनता पार्टी के राज्य नेतृत्व को संकेत बता रहे हैं कि, मुख्यमंत्री सीधे प्रधानमंत्री से चर्चा कर सकते हैं तो एक वर्ग इसे शिवसेना की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस को चेतावनी बता रहे हैं। परंतु, इस पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने खुद सामने आकर जो कहा वो बहुत ही रोचक है।

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ठाकरेशाही में उत्तर
जब उद्धव ठाकरे से पूछा गया कि क्या उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की है तो उन्होंने अपनी ठाकरे शैली में इसका उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि

हम साथ नहीं है इसका अर्थ यह नहीं लगाना चाहिए कि आपसी संबंध भी समाप्त हो गए हैं। मैंने भारत के प्रधानमंत्री से भेंट की है नवाज शरीफ से भेंट नहीं की है।

भाजपा नेताओं को संकेत
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के लिए भी उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री से निजी भेंट संकेत के रूप में मानी जा रही है। जो नेता राज्य में शिवसेना को कम आंकने का प्रयत्न करते हैं उनके लिए यह संदेश है कि शिवसेना का संबंध आज भी प्रधानमंत्री से पहले जैसा ही है। वे कभी भी भेंट कर सकते हैं और किसी भी मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं।

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गाठ-बंधन पर चेतावनी
राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि शिवसेना कार्याध्यक्ष और महाविकास आघाड़ी सरकार के नेतृत्वकर्ता उद्धव ठाकरे राष्ट्रवादी कांग्रेस के मंत्रियों की तू-तू मैं-मैं से नाराज हैं। इसे लेकर सत्ताधारी दल एक दूसरे को संकेतों में उत्तर दे रहे हैं। शरद पवार के घर देवेंद्र फडणवीस का जाना और उसके बाद एकनाथ खडसे के घर फडणवीस की भेंट अपने आप में बड़ा संकेत माना जा रहा था राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से, परंतु अब प्रधानमंत्री से बंद दरवाजे में आधा घंटा चली चर्चा से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सबको चित्त करने का प्रयत्न किया है। यानी संबंधों में गांठ बंधन हुआ तो शिवसेना जो भाजपा के साथ कर चुकी है वर राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ भी कर सकती है।

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