आपातकाल को लेकर मुख्यमंत्री योगी ने कही ये बात

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपातकाल को कलंक बताया। उन्होंने ट्वीट कर आपातकाल को लेकर अपनी बात कही है।

248

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपातकाल को कलंक बताया है। उन्होंने 25 जून को ट्वीट किया- ”भारत के महान लोकतंत्र को अक्षुण्ण रखने के लिए बिना डरे, बिना डिगे, बिना झुके क्रूर तानाशाही का प्रखर प्रतिकार करने वाले समस्त हुतात्माओं को नमन”। उल्लेखनीय है 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में देश में आपातकाल थोप दिया था।

आपातकाल जैसी दहशत हमने कभी नहीं देखी : रामगोविन्द चौधरी
25 जून, 1975 को देश में लगाया गया आपातकाल का दौर काफी भयावह था। वैसा दहशत का दौर हमने कभी देखा नहीं था। लोगों पर जुल्म की इंतेहा की गई। ये कहना है आपातकाल के दौरान मीसा बंदी रहे यूपी विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी का। उन्होंने आपातकाल के दौर की कहानी हिन्दुस्थान समाचार से शनिवार को साझा की।

कौन हैं रामगोविन्द चौधरी 
आठ बार विधायक रह चुके रामगोविन्द चौधरी जेपी आंदोलन के अगुआ छात्रनेता रहे। उन्होंने आपातकाल से पहले जेपी का आंदोलन चल रहा था। जो देश में मंहगाई, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी के खिलाफ गुजरात विद्यापीठ से शुरू हुआ था। जिससे सरकारी डरी हुई थी। तब मोरारजी देसाई छात्रों के पक्ष में 21 दिन तक अनशन पर बैठे थे। लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं थी। जिसके बाद छात्र जयप्रकाश नारायण के पास आंदोलन की अगुवाई करने के लिए गए। जेपी इस शर्त पर आंदोलन की अगुवाई करने पर तैयार हुए कि हिंसा नहीं होगी। इसके बाद छात्र युवा संघर्ष समिति बनाकर आंदोलन प्रारंभ हुआ। इसका केन्द्र बिहार था। आंदोलन धीरे-धीरे पूरे देश में फैलने लगा। बलिया भी उससे अछूता नहीं था। आंदोलन जैसे-जैसे चरम की ओर बढ़ता गया। इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी। यह देश के लिए काला दिन था। मीडिया से लेकर न्यायालय तक सभी पर प्रभाव डाला गया। लोगों की स्वतंत्रता छीन ली गई।

कई दिन भूखे रहकर चलाया था आंदोलन
रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि जेपी के आंदोलन में जो शामिल था वो और जो नहीं शामिल था वह भी जेल में डाल दिया गया। हमलोगों ने बड़ी कठिनाई से आंदोलन चलाया था। कई-कई दिन भूखे रहते थे हमलोग।

जेल में रहते हुए भी रामगोविन्द चौधरी पर दर्ज हुए थे 48 मुकदमे
रामगोविन्द चौधरी ने खुद पर बीती यातनाओं को याद करते हुए बताते हैं कि जेल में रहने के दौरान भी मुझ पर 48 मुकदमे दर्ज किए गए थे। आपातकाल में पुलिस ने इतना आतंक फैलाया कि लोगों की रूह कांप जाए। कई लोग तो जेल में ही मर गए। आलम यह था कि हमलोग जेल से कचहरी आते थे तो लोग अपना मुंह पीछे कर के भाग जाते थे। ताकि पुलिस यह न देख पाए कि बंदियों से जान पहचान है। लेकिन हम सौ डेढ़ सौ बंदी कचहरी जाते समय खूब नारे लगाते थे। उन्होंने बताया कि आंदोलनकारियों की कुर्की के समान लूट लिए जाते थे। मेरे घर भी कुर्की हुई थी। जेल में बंद काफी लोग माफीनामा देकर चले गए। कुछ लोग डर के मारे आंदोलन से हट गए। लेकिन हमलोग जमानत की अर्जी भी नहीं लगाए। उस समय के रेडियो को हमलोगों ने इंदिरा रेडियो नाम दिया था। क्योंकि रेडियो वही बोलता था जो इंदिरा गांधी चाहती थीं।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.