Chief Minister’s residence: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शीश महल के नाम से चर्चित सरकारी आवास एक फिर चर्चा में है । इस बार इसके कब्जे को लेकर है । भाजपा और आम आदमी पार्टी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही है । चांदनी चौक से बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के सक्सेना से सरकारी आवास का इंन्फ्रास्ट्रक्चर ऑडिट कराने की मांग की है ।
प्रवीण खंडेलवाल ने हिन्दुस्थान पोस्ट को कहा कि अरविंद केजरीवाल ने जनता के पैसों का बेहिसाब और बेदर्दी से इस्तेमाल किया है । इससलिए ये जानना बेहद जरूरी है कि किस प्रकार से सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है । उन्होंने मांग की है कि इस चर्चित शीश महल मामले की विस्तृत जांच और ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ।
सरकारी आवास को छोड़ने का क्या है कायदा-कानून
मुख्यमंत्री आवास छोड़कर जाते समय नियमों के अनुसार आवास के सभी सामान की लिस्ट बनाई जाती है । इसके बाद बिजली, पानी ,टेलीफोन के बिल जांचें जाते हैं और कोई बकाया न होने पर नो ड्यूज का सर्टिफिकेट दिया जाता है ।इसके बाद संतुष्ट होने पर वैकेशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
पीडब्ल्यूडी का रोल
आवास की चाबी पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ले लेते हैं। बाद में जिसे यह आवास अलॉट होता है । उसे आवास की चाबी सौंपी जाती है। इस मामले में पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार भी पूर्व मुख्यमंत्री से इसका पीडब्ल्यूडी को हस्तांतरण नियमानुसार नहीं हुआ है ।
आप पार्टी का उपराज्यपाल पर आरोप
आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के पास पीडब्ल्यूडी का विभाग आता है, बावजूद उसके पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने उनके घर पर ताला लगाकर घर को बंद कर दिया। उसने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप लगाया है। उसका कहना है भाजपा मुख्यमंत्री आवास पर कब्जा जमाना चाहती है।