चीन के विदेश मंत्री वांग यी दिल्ली पहुंच गए हैं। वर्ष 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य संघर्ष के करीब 2 साल बाद चीन के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा है। हालांकि चीनी विदेश मंत्री के साथ एस.जयशंकर ने मास्को में मुलाकात की थी तथा दोनों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कई अवसरों पर बातचीत हुई थी।
चीन के विदेश मंत्री की यात्रा पहल को यूक्रेन के मसले पर यूएन सुरक्षा परिषद में भारत की ओर से अपनाए गए रवये के संबंध में देखा जा रहा है। सुरक्षा परिषद में दो बार और महासभा में एक बार भारत ने भाग नहीं लिया था। चीन ने भी यही रुख अपनाया था। हालांकि बुधवार को सुरक्षा परिषद में रूस के प्रस्ताव पर दोनों देशों ने अलग-अलग रवैया अपनाया था। यूक्रेन में मानवीय संकट संबंधी रूस के प्रस्ताव के पक्ष में चीन ने मतदान किया था जबकि भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया था।
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वांग यी ओआईसी की बैठक में भाग लेने के बाद काबुल पहुंचे थे और वहां से भारत आए हैं। ओआईसी बैठक में उन्होंने कश्मीर का उल्लेख किया था जिसपर विदेश मंत्रालय ने आपत्ती व्यक्त की थी।
वांग यी की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब लद्दाख में टकराव के बिंदुओं पर सेनाओं को पीछे हटाने और शांति कायम करने की प्रक्रिया गतिरोध के शिकार है।
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