क्वॉड का स्क्वाड तोड़ेगा चीन का तिलिस्म! लिखी जा रही विस्तारवादी की बर्बादी

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नई दिल्ली। एक बहुत पुरानी कहावत है, दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। चीन की घेरेबंदी भी इसी आधार पर की जा रही है। उसके रवैये से नाराज देश एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। ड्रैगन की विस्तारवादी नीतियों और बढ़ती दादागिरी ने विश्व के कई देशों की चिंता और परेशानी बढ़ा दी है। इसलिए उसके खिलाफ कई देश एकजुट होने की रणनीति बना रहे हैं। इसी कड़ी में फिलहाल चार देश एक साथ आए हैं।
द क्वॉड्रिलैटरल सिक्‍यॉरिटी डायलॉग (क्वॉड) के सदस्‍य देशों में अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भारत भी शामिल है। इसी सिलसिले में 6 अक्टूबर को जापान में एक अहम बैठक सुनिश्चित की गई है। जापान के टोक्यो में होनेवाली इस बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो,भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मैरिस पाइन और जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मातेगी शामिल होंगे। बैठक में चीन को करारा जवाब देने की साझा रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
जापान से लेकर लद्दाख तक ड्रैगन की दादागिरी
चारों देशों के मंत्रियों की ये बैठक ऐसे समय पर होने जा रही है,जब चीन पूर्वी जापान सी से लेकर लद्दाख तक अपनी दादागिरी दिखा रहा है। पिछले महीने इसी सिलसिले में जापान के नये प्रधानमंत्री योसिदे सुगा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाती की थी। बातचीत के दौरान जापानी पीएम सुगा ने चीन से बढ़ते खतरे पर चिंता जताई थी और ड्रैगन को करारा जवाब देने के लिए दोनों देशों को साथ आने का सुझाव दिया था। इसी कड़ी में द क्वॉड्रिलैटरल सिक्‍यॉरिटी डायलॉग (क्वाड) के ये सदस्‍य देश इंडो-पैसफिक इलाके को स्‍वतंत्र और मुक्‍त बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएंगे। इससे पहले, क्वाड बैठक के तहत चारों देशों के विदेश मंत्रियों की पहली मुलाकात सितंबर 2019 को न्यूयॉर्क में हुई थी। फिलहाल भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर क्वाड मंत्री स्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए 6 और 7 अक्टूबर को टोक्यो में रहेंगे।
अमेरिका का स्वार्थ
अमेरिका हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत को बड़ी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करता रहा है। दरअस्ल अमेरिका इस क्षेत्र में चीन की बढ़ रही ताकत को लेकर परेशान है, क्योंकि इससे विश्न में महाशक्ति के रुप में उसकी ख्याति को झटका लग सकता है। इसलिए वह चीन को कंट्रोल करने के लिए भारत के साथ जापान और ऑस्ट्रेलिया से हाथ मिलाने को तैयार है। उधर जापान के विदेश मंत्री ने कहा है कि विश्व में अब स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दृष्टिकोण का मूल्य बढ़ा है और क्वाड देश इसे साकार करने में बड़ा कदम उठा सकते हैं।
दोनों देशों के सेना प्रमुख की भी संपर्क में
भारतीय और जापानी आर्मी चीफ भी चीन की वजह से पैदा हुए खतरे को लेकर लगातार एक दूसरे के संपर्क में हैं। 14 सितंबर को ही जापानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल यूसा ने भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे से बातचीत की थी। इस दौरान दोनों सेना प्रमुखों ने इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती घुसपैठ के खिलाफ आपसी सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई थी।
सेना की लॉजिस्टिक एंड सर्विसेज के लिए बड़ा समझौता
सितंबर में ही जापान ने भारत के साथ डिफेंस सेक्टर में लॉजिस्टिक और सर्विसेज के लिए बड़ा समझौता हुआ था। नई दिल्ली में हुए इस समझौते में भारत की तरफ से रक्षा सचिव अजय कुमार और जापान की तरफ से भारत में राजदूत सुजुकी सतोशी ने हिस्सा लिया। इस समझौते के तहत दोनों देशों की सेना अपनी जरुरत के सामान का आदान-प्रदान कर सकती हैं।

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