सदन में उस घटना को याद कर आंसुओं को नहीं रोक पाए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का जीवन संघर्षों भरा रहा है। उन संघर्षों को मात करके एक सामान्य रिक्शा चालक, शिवसैनिक से मुख्यमंत्री के रूप में वे राज्य का नेतृत्व कर रहे हैं।

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा विधान सभा में बहुमत प्राप्ति के बाद विभिन्न नेताओं ने अभिनंदन प्रस्ताव में चर्चा की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने सरकार के गठन और अपने राजनीतिक प्रवास की जानकारी देते हुए रो पड़े। एक स्थिति ऐसी हो गई कि, सदन में सन्नाटा छा गया था।

रो पड़े मुख्यमंत्री
एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में अपने द्वारा किये गए संघर्षों को बताया। इसमें उन्होंने अपनी पारिवारिक परिस्थिति का उल्लेख भी किया। यह बताते हुए वे अपने आंसुओं की नहीं रोक पाए। वो बोले कि, जब मैं ठाणे में शिवसेना कॉर्पोरेटर के रूप में कार्य कर रहा था, मैंने अपने दो बच्चों को खो दिया। मुझे लगा मेरा सबकुछ समाप्त हो गया। लेकिन उस समय धर्मवीर आनंद दिघे साहेब ने मुझे प्रोत्साहित किया। वे चार से पांच बार मेरे घर आए। एक दिन मुझे बुलाया और बोले की एकनाथ तुम्हारा दुख बहुत बड़ा है। परंतु, तुम्हें ऐसे घर में नहीं बैठना चाहिए। अब तक तुम एकनाथ थे, अब से तुम जननाथ हो। तुम्हें उनकी सहायता करनी है जिनकी सहायता कोई नहीं करता।

बता दें कि, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के दो बच्चे दीपेश और शुभदा की मृत्यु डूबने से हो गई थी। शिंदे परिवार के पैतृक गांव रत्नागिरी में यह दुर्घटना हुई थी। इस घटना ने एकनाथ शिंदे की जिंदगी को झकझोर दिया था।

हमने किसी को छोड़ा नहीं
मुख्यमंत्री अपने संबोधन में निरंतर कहते रहे कि, उन्होंने किसी को भी छोड़ा नहीं है बल्कि अन्याय के विरुद्ध बिगुल फूंका है। हम शिवसैनिक हैं और शिवसैनिक ही रहेंगे।

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