रिपोर्टः सुशांत सावंत
महामारी काल में मुख्यमंत्री का एक और संबोधन रविवार को संपन्न हुआ। इसमें सीएम उद्धव ठाकरे ने बताया कि आरे को वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। जबकि आरे में निर्माणाधीन मेट्रो कारशेड को कांजुर मार्ग स्थानांतरित कर दिया गया है। उम्मीद की जा रही है कि सीएम की इस घोषणा से आरे की हरियाली फिर मंगल गीत गाएगी।
महाराष्ट्र में सरकार बदली तो फैसले भी बदलने लग गए। महाविकास आघाड़ी सरकार ने पूर्व की फडणवीस सरकार के एक और फैसले को बदल दिया है। मुंबई के आरे कॉलोनी में प्रस्तावित मेट्रो कारशेड को यहां से उठाकर कांजुरमार्ग में ले जाने का फैसला किया गया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को फेसबुक लाइव के जरिए यह घोषणा की।
मामले लिए जाएंगे वापस
मुख्यमंत्री ने आरे कॉलोनी में प्रस्तावित कारशेड के विरोध में प्रदर्शन करनेवाले सभी लोगों पर दर्ज मामले को वापस लिए जाने की भी जानकारी दी। हालांकि ये फैसले महाराष्ट्र सरकार पहले ही घोषित कर चुकी है। राज्य सरकार ने आरे कॉलोनी की 800 एकड़ भूमि को वन क्षेत्र घोषित कर दिया। सीएम ने कहा कि शिवसेना ने पहले ही आरे कॉलोनी में कारशेड निर्माण का विरोध किया था। अब यह कारशेड कांजुरमार्ग में बनाया जाएगा।
सरकारी खजाने का दुरुपयोग नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब कारशेड को लेकर दुविधा खत्म हो गई है और उसकी जगह निश्चित कर दी गई है। उन्होंने दावा किया कि सरकारी खजाने का एक भी पैसा बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा।
काटे गए थे एक हजार पेड़
आरे कॉलोनी में कारशेड निर्माण के फैसले पर 2019 में काफी विवाद पैदा हो गया था। करीब एक साल पहले वहां पुलिस की सुरक्षा में एक हजार पेड़ काट दिए गए थे। इसका शिवसेना के साथ ही कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था। लेकिन सरकार ने कारशेड के लिए प्रस्तावित स्थान के आसपास के तीन किलोमीटर के दायरे को सील कर दिया और आरे कॉलोनी में कारशेड बनाने का विरोध कर रहे कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
दायर याचिकाएं कर दी गई थीं खारिज
यहां तक कि आरे कॉलोनी में कारशेड की प्रस्तावित जमीन को जंगल घोषित करने और पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए दायर याचिकाओं को भी बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई थी।
शिवसेना ने दी थी चेतावनी
इस बात को लेकर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना की सरकार में दरार पड़ती दिख रही थी। शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पेड़ों की कटाई पर न सिर्फ नाराजगी जताई थी बल्कि सरकार को देख लेने की चेतावनी भी दी थी। उन्होंने कहा था कि फेफड़ों का खून करनेवालों को देख लेंगे। युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने भी इसका विरोध किया था और कहा था कि जिस तरह पेड़ों की कटाई की जा रही है, उसके मद्देनजर प्लास्टिक प्रदूषण पर बोलने का इन्हें कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री की जलवायु बचाओ मुहिम से जोड़ते हुए उनपर निशाना साधा था।
कांग्रेस ने भी किया था विरोध
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने तत्कालीन युति सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि मुंबई में पेड़ों की कटाई फेफड़ों में चाकू घोंपने जैसा है। शहर अपनी कोस्टलाइन और ग्रीन कवर खत्म करता है तो वह कयामत के दिन को करीब बुला रहा है। इनके साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन प्रवक्ता नवाब मलिक और कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने भी इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि पर्यावरण के नाम पर प्लास्टिक पर रोक लगानेवाली सरकार जंगल की कटाई कर रही है।
काटे जाने थे 2,600 पेड़
मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एएमएमआरसीएल) की तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी अश्विनी भिड़े का कहना था कि उनके पास पेड़ काटने की अनुमति है। उन्होंने आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए 2,600 पेड़ों को काटने की बात कही थी।