सर्वोच्च न्यायालय बुधवार शाम पांच बजे शिवसेना के मुख्य प्रतोद सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई करेगा। शिवसेना की ओर से राज्यपाल द्वारा सदन में बहुमत सिद्ध करने की दी गई नोटिस को चुनौती दी हुई है। इस बीच संविधान विशेषज्ञों की मानें तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास दो ही पर्याय बचे हैं।
शिवसेना के प्रतोद सुनील प्रभु की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है। न्यायालय ने अभिषेक मनु सिंघवी को कहा है कि, आप तीन बजे तक सभी पक्षों को याचिका की प्रति उपलब्ध कराएं। इस पर पांच बजे सुनवाई होगी।
मुख्यमंत्री के पास पर्याय
1. बहुमत सिद्ध करने के पहले ही दें त्यागपत्र – शिवसेना के लगभग 39 विधायक असंतुष्ट गुट के नेता एकनाथ शिंदे के साथ हैं। इसमें अभी संख्या बढ़ने की आशंका है। इस स्थिति में महाविकास आघाड़ी के पास संख्याबल कम है, जिससे सरकार अल्पमत में है। इसी को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने राज्यपाल महोदय को पत्र देकर राज्य सरकार से बहुमत सिद्ध कराने की मांग की है। अब चुंकि, सरकार के पास बहुमत नहीं है, ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे त्यागपत्र दे सकते हैं।
2. बहुमत सिद्ध करें – सर्वोच्च न्यायालय यदि राज्यपाल द्वारा बहुमत सिद्ध करने की नोटिस पर स्थगन देता है तो ठीक, अन्यथा बहुमत सिद्ध करें। ऐसी स्थिति में शिवसेना का असंतुष्ट गुट अपनी ही पार्टी के विरोध में मतदान कर सकता है। जिसके बाद मुख्यमंत्री की हार होगी और सरकार बहुमत के अभाव में गिर जाएगी।
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