52 वर्षों बाद उन हिंदू परिवारों को मिला अपना घर, भूमि और आर्थिक सहायता

वर्षों बाद बांग्लादेश के विस्थापित हिंदू परिवारों को अपना घर और भूमि प्राप्त हुई है। इसके पहले केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहनवाले हिंदू, सिख, जैन, पारसी आदि को भारत में शरण देते हुए नागरिकता का अधिकार देने के लिए संशोधित नागरिकता कानून बनाया है।

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उत्तर प्रदेश के कानपुर में 63 हिंदू परिवारों को राज्य सरकार ने खेती के लिए भूमि, मकान सौंप दिया है। इसका निर्णय योगी 1.0 सरकार के राज में सामने आया था, परंतु अब योगी 2.0 में इसकी पूर्णाहुति हो गई। इस संदर्भ में घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से की है। मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम में इन परिवारों को भूमि के पट्टे का कागज और अन्य प्रशासनिक सहायता सौंपी।

राज्य में 63 हिंदू बंगाली परिवार पूर्वी पाकिस्तान से वर्ष 1970 में आए थे। उन्होंने बांग्लादेश में हो रही प्रताड़ना से बचते हुए भारत की शरण ली थी। इसमें कुल 397 हिंदू परिवार थे, जिसमें से अधिकांश विस्थापितों को ओडिशा और बदायूं में बसाया गया था। जबकि, 65 हिंदू परिवारों को उत्तर प्रदेश के मेरठ में सूत के कारखाने में नौकरी दी गई थी। परंतु, 1984 में यह कंपनी बंद हो जाने से यह परिवार फिर विस्थापित हो गया। उसी समय से इन परिवारों को पुनर्स्थापित होने का इंतजार था।

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38 वर्षों बाद विस्थापन से मुक्ति
मेरठ में बेरोजगारी हाथ लगने के बाद अब 37 वर्षों बाद इन परिवारों को कानपुर के रसूलाबाद में स्थाई निवास मिलेगा। इसमें कुल 65 हिंदू परिवार थे, जिनमें से दो परिवारों का इन 52 वर्षों में कोई नहीं बचा, जबकि बचे हुए 63 परिवारों को अब कानपुर के रसूलाबाद स्थित भैंसाया गांव में बसाया गया है।

इन 63 परिवारों को राज्य सरकार 2 एकड़ खेती की भूमि, घर के लिए 200 वर्ग मीटर की भूमि, मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर और शौचालय दिया जाएगा। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अब उन्हें भूमि का पट्टा सौंप दिया गया है।।

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