कांग्रेस संशोधन, अब सोशल मीडिया पर छिड़ेगा आंदोलन!

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चरणजीत सिंह सप्रा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने किसानो के साथ धोखा किया है और इस विषय को कांग्रेस सोशल मीडिया के माध्यम से गांव-गांव तक पहुचाएगी।

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मुंबई। किसान संशोधन बिल को लेकर कांग्रेस और उसके सहयोगी दल इतनी आसानी से मोदी सरकार को नही छोड़ने वाले हैं। किसान संशोधन विधेयक बिल को भले ही संसद के दोनों सदनों में पास होने से कांग्रेस नहीं रोक पाई, लेकिन उसकी यह लड़ाई अब संसद और सड़क के बजाय सोशल मीडिया पर शुरू होने जा रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चरणजीत सिंह सप्रा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने किसानो के साथ धोखा किया है और इस विषय को कांग्रेस सोशल मीडिया के माध्यम से गांव-गांव तक पहुचाएगी। सप्रा ने बताया कि किसान विरोधी भाजपा पार्टी की नीतियों को कांग्रेस अपने मीडिया सेल और कार्यकर्ताओं की मदद से सोशल मीडिया ,जिला, तालुका,पंचायत तथा गांव-गांव तक पहुंचाएगी ।
कांग्रेस की दलील
दरअस्ल कांग्रेस किसानों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ,भाजपा कैसे कृषि क्षेत्र में कॉर्पोरेट कंपनियों को लाकर उन्हें बंधुआ मजदूर बना देगी और उनकी उपजाऊ जमीन को बंजर बना देगी। उसका यह भी आरोप है कि किसानों को न्यूतम समर्थन मूल्य को लेकर गुमराह किया जा रहा है।
पंजाब, हरियाणा में आंदोलन
किसान संशोधन बिल पास होने के बाद पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे। भाजपा ने इसे दबाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी किसानों को यह समझाने में जुटी है कि यह बिल उनके लिए नुकसान का सौदा है।
हाथ को आप, सपा और अकाली दल का साथ
किसान संशोधन बिल को लेकर आम आदमी पार्टी ,समाज वादी पार्टी और अकाली दल भी कांग्रेस के साथ है। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता द्विजेन्द्र तिवारी ने कहा कि हमारी पार्टी देश के कोने-कोने में जाकर किसानों को इस बिल की सच्चाई बताएगी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने किसानों को अन्धेरे में रख कर यह बिल पास कराया है। किसान संशोधन बिल को लेकर अकाली दल भी बहुत गुस्से में है। उसका कहना है कि यह बिल किसानों के साथ सरासर धोखा और अन्याय है। बिल में बहुत-सी बातें लिखी नहीं गई हैं। सरकार सिर्फ मौखिक बातें कह रही है। इसी वजह से वह एनडीए सरकार से अगल हो गई है। वहीं समाजवादी पार्टी के नेताओं का कहना है कि भाजपा हमेशा से ही सूट-बूट वालों की सरकार रही है। वह किसानों का दर्द क्या जाने।

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