Dynasty: देश में लोकसभा चुनाव(Lok Sabha Election) चंद कदम ही दूर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Congress leader Rahul Gandhi) मतदाताओं को पार्टी की ओर आकर्षित करने के लिए भारत जोड़ो न्याय यात्रा(Bharat Jodo Nyay Yatra) पर हैं। उनकी इस यात्रा का चुनाव में पार्टी को कितना लाभ होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा पर निकले कांग्रेस के युवराज(Yuvraj of Congress) की पार्टी के कई नेता अब तक टूट चुके हैं। केवल महाराष्ट्र(Maharashtra) की बात भी करें, तो चंद महीने में पार्टी काफी कमजोर हुई है और लोकसभा चुनाव घोषित होने तक और कितने घाव उसे मिलने वाले हैं, इस बारे में राजनीतिक हलकों में चर्चा गरम है। यही स्थिति अन्य प्रदेशों में भी है।
कांग्रेस को घरानेशाही का घाव
अशोक चव्हाण(Ashok Chavan)
हाल के दिनों की बात करें तो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने 13 फरवरी को हाथ का साथ छोड़कर कमल थाम लिया। भाजपा ने भी उन्हें इसके बदले में राज्य सभा के लिए नामित कर अपना राज धर्म निभाया है। अशोक चव्हाण के बाद कुछ और कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। अशोक चव्हाण महाराष्ट्र में कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते थे, लेकिन अब यह इतिहास बन चुका है। अब वे भाजपा में शामिल हो गए हैं। वे 38 वर्षों से कांग्रेस के साथ थे।
डीएनए में कांग्रेस
बता दें कि अशोक चव्हाण का घराना कांग्रेस का कट्टर समर्थक रहा है। उनके पिता दिवंगत शंकर राव चव्हाण कांग्रेस के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं और उनके घराने के डीएनए में कांग्रेस(Congress in DNA) थी। लेकिन अशोक चव्हाण ने पार्टी की उपेक्षा से और गलत नीतियों से तंग आकर पार्टी छोड़ने का फैसला किया। उनके कांग्रेस से लगाव का एक उदाहरण उस समय देखने को मिला, जब वे भाजपा में शामिल होते समय भारतीय जनता पार्टी की जगह कांग्रेस बोल गए।
मिलिंद देवरा
अशोक चव्हाण से पहले कट्टर कांग्रेसी दिवंगत नेता मुरली देवरा के पुत्र मिलिंद देवरा ने भी 14 जनवरी को कांग्रेस छोड़कर पार्टी को जोर का झटका दिया। उन्होंंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थाम लिया है। शिंदे गुट ने भी पुरस्कार स्वरूप उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया है।
उनके पिता कट्टर कांग्रेसी थे और राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी के भी काफी करीबी माने जाते थे। स्वयं मिलिंद देवरा भी राहुल गांधी के काफी खास माने जाते थे, लेकिन पार्टी की नीतियों से काफी समय से वे नाराज चल रहे थे और अंत में उन्होंने हाथ को छोड़कर कमल थामने का निर्णय लिया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
कट्टर कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत माधवराव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस को सितंबर 2023 में अलविदा कहते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। वे अपने साथ कांग्रेस के 28 विधायक भी लेकर आए थे। समय के साथ ही उन्होंने भाजपा के साथ वफादारी का परिचय दिया है। हाल ही में विधानसभा चुनाव में उनके गृह प्रदेश मध्य प्रदेश में भाजपा को बंपर बहुमत मिला है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी बड़ा योगदान है। भाजपा ने भी उन्हें हाथ छोड़कर कमल थामने के बदले में पुरस्कृत किया है और वर्तमान में केंद्र में वे नागरी विमानन मंत्री हैं।
जितीन प्रसाद
कट्टर कांग्रेसी जीतेंद्र प्रसाद के बेटे को भी कांग्रेस रास नहीं आ रही थी। पार्टी द्वारा लगातार उपेक्षा किए जाने के कारण उन्होंने भी कांग्रेस को छोड़ दिया था। उन्होंने 9 जून 2021 को पार्टी को अलविदा कहते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा ने भी उनको अपने घर में आने पर गर्मजोशी से स्वागत किया था और वर्तमान में उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री हैं।
कांग्रेस की पश्चिम बंगाल की महिला इकाई की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने भी पार्टी को बड़ा झटका देते हुए प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद देव तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गईं। इस अवसर पर टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी मौजूद रहे। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता ने 15 अगस्त को पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजा था। वह असम के सिलचर से लोकसभा सदस्य रही हैं।
शर्मिष्ठा मुखर्जी
पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। हालांकि वे किसी पार्टी में शामिल नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा है कि अब वह राजनीति में नहीं जाने वाली हैं। वो क्लासिकल कत्थक डांसर हैं, उसे ही करेंगी। टीएमसी, कांग्रेस या बीजेपी कोई भी दल हो, वे उसमें नहीं जाने वाली हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति से पूरी तरह दूर हो चुकी हूं। दरअसल, शर्मिष्ठा मुखर्जी अपने पिता के ऊपर एक किताब लिखकर चर्चा में आ गईं थीं।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब में अपने पिता प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के कांग्रेस नेताओं से कैसे संबंध रहे, इसपर सारी बातें लिखी हैं। दरअसल, ये किताब उनके पिता की तरफ से लिखी गई डायरी का एक हिस्सा है. इस किताब में उन्होंने वो सारी बातें लिखी हैं जो प्रणब डायरी में लिखा करते थे। प्रणब मुखर्जी कट्टर कांग्रेसी थे,हालांकि जीवन के अंतिम कुछ वर्षों में वे भाजपा के करीब आ गए थे।
जगन मोहन रेड्डी
वर्तमान में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने 2010 में कांग्रेस से अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए पार्टी पर पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने उनके परिवार को अपमानित किया। जगन ने बहुत ही नाटकीय अंदाज में अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी थी। उन्होंने पांच पेज का एक खुला पत्र लिखा था, जिसे उनके समाचार चैनल साक्षी टीवी पर पढ़ा गया था।
कांग्रेस पर आरोप
कांग्रेस से खफा जगन ने आरोप लगाया था कि पार्टी उनके परिवार को तोड़ने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा था कि किरण कुमार रेड्डी की सरकार में उनके चाचा वाईएस विवेकानंदा रेड्डी को मंत्रीपद की पेशकश कांग्रेस की मंशा जाहिर करती है। अपने पिता वाईएसआर रेड्डी की मौत के बाद से ही जगन और कांग्रेस के रिश्ते कोई अच्छे नहीं रहे थे।
कांग्रेस में बचे दो घरानेशाही नेता
अब कांग्रेस में केवल दो घरानेशाही नेता एक राजस्थान में सचिन पायलट और महाराष्ट्र में अनंत गाडगिल बचे हैं।सचिन पायलट कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता राजेश पायलट के पुत्र हैं। पुणे में रहने वाले अनंत गाडगिल वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। वे कांग्रेस के दिग्गज नेता विट्ठलराव गाडगिल के पुत्र और काकासाहेब गाडगिल के पौत्र हैं।
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