मुंबई महानगरपालिका सहित देश के दो राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इसी वर्ष चुनाव होने हैं, लेकिन कांग्रेस में एकजुटता और उसकी तैयारी को लेकर कोई खास सक्रियता नहीं देखी जा रही है। उल्टे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी और पार्टी को बाय-बाय करने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में पहले कपिल सिब्बल और अब गुलाम नबी आजाद ने पार्टी हाथ का साथ छोड़कर पार्टी को जोर का झटका दिया है। लेकिन लगता नहीं है कि पार्टी इस तरह के झटके से कोई सबक लेना चाहती है। यही कारण है कि उसे ऐसे झटके भविष्य झटके लगते रहने के आसार हैं।
फिलहाल इस सूची में वैसे तो पार्टी के कई नेता माने जा सकते हैं, लेकिन इन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बारे में कहा जा रहा है कि ये कभी भी पार्टी को बाय-बाय कर सकते हैं।
आनंद शर्मा की नाराजगी
गुलाम नबी आजाद के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का नाम भविष्य में कांग्रेस को झटका देने वाले नेताओं में लिया जा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने 21 अगस्त को हिमाचल प्रदेश में चुनावों के लिए बनी कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कांग्रेस नेता ने कहा कि वे अपने ‘आत्मसम्मान’ से समझौता नहीं कर सकते।
आनंद शर्मा ने सोनिया गांधी को लिखा पत्र
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में आनंद शर्मा ने कहा था कि उन्हें पार्टी की ओर से होने वाली बैठकों में आमंत्रित नहीं किया जाता और ना ही उनसे किसी विषय पर सलाह ली जाती है। वे अपने ‘आत्मसम्मान’ से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि वे इस सब के बावजूद पार्टी उम्मीदवारों के लिए राज्य में आयोजित चुनाव प्रचार में भाग लेंगे।
मनीष तिवारी दे सकते हैं झटका
मनीष तिवारी कांग्रेस के बड़े नेता हैं। वे पूर्व कंद्रीय मंत्री और वर्तमान में सांसद हैं। उनके पार्टी छोड़ने की बातें काफी पहले से की जाती रही हैं। इसका कारण यह है कि वे कई बार पार्टी लाइन से हटकर बयान दे चुके हैं। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर भी उन्होंने नाराजगी जताई थी।
अग्निपथ योजना पर किया मोदी सरकार का समर्थन
मनीष तिवारी ने जुलाई 2022 में मोदी सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन किया था। बता दें कि कोडिफेंस कंसल्टेटिव कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें तीनों सेनाओं के प्रमुख , रक्षा सचिव सहित 12 सांसद मौजूद थे। इस बैठक की शुरुआत में अग्निपथ योजना पर राजनाथ सिंह ने सिलसिलेवार प्रेजेंटेशन दिया था। इसके बाद सांसदों ने अपने-अपने पक्ष रखे थे। एनडीए के पांच सांसदों ने इसके पक्ष में बात की थी। 6 विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध कर इस योजना को वापस लेने के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन विपक्ष के मनीष तिवारी ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए। इस कारण सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन मिला।
क्या भाजपा से बढ़ रही हैं नजदीकियां?
पंजाब कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी की हाल ही में पीएम मोदी से हाथ मिलाने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर चर्चा का विष बन गई थी। हालांकि तिवारी ने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री का स्वागत प्रोटोकॉल के तहत किया था। उन्होंने कहा कि अगर पीएम आनंदपुर साहिब उनके संसदीय क्षेत्र में विजिट करते हैं तो शिष्टाचार के तहत बिना किसी राजनैतिक मतभेद के उनका स्वागत करना चाहिए।
फरवरी 2022 में कही था-हम कांग्रेस पार्टी में किराएदार नहीं, हिस्सेदार हैं
इन कारणों से समझा जाता है कि देर-सवेर मनीष तिवारी भी कांग्रेस का साथ छोड़ देंगे। हालांकि फरवरी 2022 में उन्होंने कहा था कि वे पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन अगर कोई धक्के मारकर बाहर निकाल देगा तो उनके सामने कोई रास्ता नही बचेगा। उन्होंने कहा था कि हम कांग्रेस पार्टी में किराएदार नहीं, हिस्सेदार हैं। हमने 40 वर्ष इस पार्टी में दिया है।
जी-23 के सदस्य हैं तिवारी
आनंद शर्मा और मनीष तिवारी जी23 के सदस्य हैं। यह संगठन बदलाव की मांग करता रहा है। जी-23 के बड़े नेताओं को धीरे-धीरे पार्टी से साइडलाइन कर दिया गया है। इस कारण पार्टी में उनकी भूमिका नहीं बची है। इसलिए कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद जैसे नेता खुद ही अपने रास्ते बदल लिए हैं।
पृथ्वीराज का क्या है राज?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री भी पार्टी में चल रहा है, उससे खुश नहीं हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गुलाम नबी आजाद पर दिए गए बयान से वे सहमत नहीं हैं। उन्होंने एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में गहलोत के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि पार्टी में लोकतांत्रीक व्यवस्था होनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी का मतलब गांधी परिवार नहीं है। इसलिए अगर कोई 50 वर्ष पार्टी की सेवा करता है तो ये नहीं कहा जा सकता है कि उसे बहुत कुछ दिया गया।
पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से चलनी चाहिएः पृथ्वीराज चह्वाण
बाबा नाम से मशहूर चव्हाण ने कहा कि पार्टी लोकतांत्रिक पद्धति से चलना चाहिए। 24 वर्ष से एआईसीसी और अन्य तरह के कोई भी आंतरिक चुनाव ढंग से नहीं कराया गया। नरसिंहाराव के समय और बाद में सीताराम केसरी के कार्यकाल में भी चुनाव हुआ करते थे, अब क्यों नहीं होते। पार्टी में लोकतंत्र जरूरी है। सभी पदों को इसी आधार पर भरना चाहिए। आज कांग्रेस का जो हाल है, उसके लिए क्या मोदी सरकार जिम्मेदार नहीं है, क्या कांग्रेस जिम्मेदार नहीं है.. ये विचार करने वाली बात है।
बाबा भी कर सकते हैं बाय-बाय
चव्हाण की इन बातों से उनकी नाराजगी साफ झलकती है। इस कारण समझा जा रहा है कि देर सवेर बाबा भी पार्टी को बाय-बाय कर सकते हैं।