Congress: विनाश काले विपरीत बुद्धिः कांग्रेस के साथ हो गया खेला

कांग्रेस की दुविधा है कि वो दो नावों पर सवार होना चाहती है। जब उसके सहयोगी दल सनातन धर्म का अपमान करते हैं तो वह चुप्पी साध लेती है।

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व्यक्ति केंद्रित कमजोर नेतृत्व , कई मोर्चों पर नाकामी और अनिर्णय की स्थिति से कांग्रेस(Congress) को लगातार नुकसान पहुंच रहा है। लेकिन वह अपनी गलतियों से सीख लेने को तैयार नही है। वह बार-बार ऐसी गलतियां कर अपने भविष्य को बर्बाद करने की ओर बढ़ रही है।

कहते हैं समझदार व्यक्ति दूसरों की गलती से सीखता है । लेकिन कांग्रेस गलती पर गलती कर रही है लेकिन सीखना तो दूर, वह एक के बाद अपनी गलतियां दोहरा रही है। कांग्रेस की राजनीतिक जमीन(political ground) देश में लगातार खिसकती जा रही है । तीन राज्यों की करारी हार ने उसकी हालत और बदतर कर दी है। हालत ये हो गए हैं कि विपक्षी दलोें के सहयोगी दल भी कांग्रेस को सुनने को तैयार नहीं हैं। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों(Assembly elections) में कांग्रेस ने न सिर्फ अपनी फजीहत कराई बल्कि सहयोगी दलों(supporting parties) की लुटिया भी डूबो दी ।

इंडी गठबंधन के सहयोगी दलों का कांग्रेस पर अवसरवाद का आरोप
 भाजपा से टक्कर लेने की कांग्रेस की योजना पूरी तरह से विफल हो चुकी है। यही नहीं, वह अपने सहयोगी दलों को साथ रखने में भी नाकाम हो चुकी है। स्थिति यहां तक आ गई है कि कांग्रेस को सहयोगी दलों की बैठक का प्रारूप ही बदलना पड़ा। इस वर्ष जून महीने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की कमान संभाली थी। लेकिन कांग्रेस ने बड़े गुपचुप तरीके से इसे हथिया लिया। मध्य प्रदेश , राजस्थान , छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम के चुनावों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने विपक्षी एकता की बात करनी भी बंद कर दी। नीतीश कुमार ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस को विपक्षी एकता की चिंता नहीं, बल्कि विधानसभा चुनावों की पड़ी है। कांग्रेस की योजना थी कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम उसके अनुकूल आए तो वह अपने सहयोगी दलों को काबू में रख लेगी, लेकिन उसका दांव उल्टा पड़ गया और कांग्रेस की स्थिति बेचारगी की बन गई ।

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पहले हिस्सा बांटो, फिर एकता की बात
कांग्रेस के सामने समाजवादी पार्टी(Samajwadi Party) ने अपनी शर्त रख दी है कि आगामी लोकसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा पहले करें उसके बाद ही समझौते की बात होगी ।कांग्रेस से इंडी गठबंधन के सहयोगी दलों का भरोसा उठ गया है। कांग्रेस ने चुनाव हारने के बाद तुरंत 28 विपक्षी दलों की बैठक बुलाई लेकिन उसके सहयोगी दल पतली गली से निकल पड़े।
सनातन धर्म का अपमान , कांग्रेस को पड़ रहा है भारी
कांग्रेस की दुविधा है कि वो दो नावों पर सवार होना चाहती है। जब उसके सहयोगी दल सनातन धर्म का अपमान करते हैं तो वह चुप्पी साध लेती है। बीजेपी(B J P) ने तो कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि कांग्रेस मुख्यालय में ही सनातन धर्म को गाली देने का षड्यंत्र रचा जाता है। कांग्रेस देश को बांटने वाली सोच पर काम कर रही है। वह देश को नीचा दिखाने वाली राह पर चल रही है। उसकी इस तरह की अवसरवादिता का ही परिणाम है कि तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में करारी हार का सामना करना पड़ा।

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