केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध की आड़ में हरियाणा में एक दूसरी ज्वाला भी धधकने लगी है। यहां की गठबंधन सरकार के विधायकों पर कांग्रेस के डोरे डालने की खबरें आने लगी हैं। कांग्रेस की कुमारी शैलजा ने दावा किया है कि उनके संपर्क में कई बीजेपी नेता हैं।
राज्य में दो दलों की सरकार के सिर पर किसानों का आंदोलन वैसे ही परेशानी लेकर खड़ा है। इस बीच आंदोलन पर राजनीति कर रही कांग्रेस ने सत्ता के मैजिक फीगर तक ले जाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार किसानों के आंदोलन से मजबूती लिये हुए है। तो दूसरी तरफ हरियाणा में सत्ता के मैजिक फीगर को पाने के लिए कांग्रेस ने जाल बिछाना शुरू कर दिया है। इसमें हरियाणा में दलीय स्थिति भी सहायक सिद्ध हो रही है। एक दृष्टि उस पर डालने से इस राजनीतिक डांवाडोल की सच्चाई को समझा जा सकता है।
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हरियाणा में दलीय स्थिति
- बीजेपी 40
- कांग्रेस 31
- जेजेपी 10
- निर्दलीय 7
- लोकहित पार्टी 1
राज्य में बहुमत के लिए 45 विधायकों का समर्थन चाहिए। बीजेपी इससे पांच सीट दूर है जिसके कारण वहां जेजेपी और निर्दलीय विधायकों की मदद ली गई है। इस स्थिति में किसान आंदोलन की आंधी में जेजेपी या बीजेपी के कुछ विधायकों को यदि कांग्रेस तोड़ लेती है तो सत्ता का समीकरण कांग्रेस के लिए सहायक हो जाएगा।
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खट्टर की डिनर डिप्लोमैसी
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर अपने विधायकों में तालमेल के लिए उर्जा मंत्री रणजीत चौटाला के घर अन्य विधायकों के साथ भोज में हिस्सा लिया था। सूत्रों के अनुसार सीएम सरकार को लेकर कोई खतरा नहीं लेना चाहते। जबकि कांग्रेस की कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार को बजट से पहले ही सत्र बुलाने को कह रहे हैं। इसके लिए कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है। जिसके अंतर्गत ही शैलजा का बयान सामने आया है।
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