Maharashtra: ​​क्या महाविकास अघाड़ी में पड़ेगी फूट? ये है बड़ा कारण

विधानसभा चुनाव के लिए महायुति में सीटों का बंटवारा लगभग हो गया है, हालांकि, महाविकास अघाड़ी में सीटों का बंटवारा अभी भी बाकी है।

106

Maharashtra: विधानसभा चुनाव के लिए महायुति में सीटों का बंटवारा लगभग हो गया है, हालांकि, महाविकास अघाड़ी में सीटों का बंटवारा अभी भी बाकी है। सूत्रों के मुताबिक, तीन घटक दलों कांग्रेस, उबाठा और राष्ट्रवादी शरद चंद्र पवार गुट की मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा के कारण महाविकास अघाड़ी टूटने की नौबत आ गई है।

उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा
चुनाव की घोषणा से पहले मांग उठी थी कि उबाठा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना चाहिए लेकिन कांग्रेस ने सबसे पहले इसका विरोध किया था। उद्धव ठाकरे ने इसका कारण बताया था कि ‘गठबंधन में अनुभव को ध्यान में रखते हुए, जिसके पास सबसे अधिक विधायक हैं, उसका मुख्यमंत्री होगा।’ लेकिन ये सिर्फ सतही कारण था, छुपी मंशा थी कि उबाठा के उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाए लेकिन कांग्रेस ने अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री बनाने की नीति जारी रखने का फैसला किया। इसलिए कांग्रेस ने सीट बंटवारे के दौरान उबाठा को परेशानी में डालने की नीति अपनाई है।

नाना पटोले का मुख्यमंत्री पद के लिए संघर्ष
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी मुख्यमंत्री पद के लिए तड़प रही है। मविआ में कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ऐसे में वह अधिक विधायक चुनकर आने का और अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने लगी है। चुनाव की घोषणा से पहले ही कांग्रेस के कुछ नेता नाना पटोले को मुख्यमंत्री बनाने के इच्छुक थे। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले हैं, इसलिए सीटों के बंटवारे में मुख्यमंत्री पद की चाहत लेकर बैठने से यह समस्या बढ़ती जा रही है। इन सभी विवादों का कारण यह बताया जा रहा है कि विदर्भ में सीटों के बंटवारे पर विवाद है।

शरद पवार की नजर भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर
तीसरे दल राष्ट्रवादी शरद चंद्र पवार गुट में भी मुख्यमंत्री पद की चाहत बढ़ गई है। एक सार्वजनिक बैठक में जैसे ही शरद पवार ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि जयंत पाटील को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी दी जाएगी, कार्यकर्ताओं ने जयंत पाटील को भावी मुख्यमंत्री घोषित करना शुरू कर दिया। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। शरद पवार का गणित यह है कि अगर राज्य में पहली बार किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी।

चुनाव के बाद कांग्रेस की एक साथ आने की योजना
कुल मिलाकर महाविकास अघाड़ी के सभी घटक दलों में मुख्यमंत्री पद की लालसा माविया में फूट का कारण बनने जा रही है। इन सबके बीच कांग्रेस ने पक्का हिसाब लगाया है। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चौथे स्थान पर थी, लेकिन मविआ की सरकार बनी और कांग्रेस सत्तारूढ़ पार्टी बन गई, हालांकि, पिछले पांच सालों में शिवसेना और एनसीपी दोनों में दो फाड़ हो गई, जबकि कांग्रेस विधानसभा में नंबर एक बन गई है।

India-China Relation: भारत और चीन के बीच LAC पर गश्ती को लेकर बनी सहमति? विदेश सचिव मिसरी का बड़ा बयान

कांग्रेस की रणनीति
2024 के लोकसभा चुनाव में मविआ में कांग्रेस के सबसे ज्यादा सांसद चुने गए हैं, इसलिए अब कांग्रेस की ताकत बढ़ गई है। चर्चा हो रही है कि अगर कांग्रेस अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ती है तो पार्टी ज्यादा से ज्यादा विधायक चुनकर ला सकती है और चुनाव के बाद एकजुट होकर मुख्यमंत्री पद पर दावा कर सकती है।

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस का न तो उबाठा से भावनात्मक रिश्ता है और न ही माविआ में एनसीपी से। मविआ में रहते हुए मिले अनुभव का इस्तेमाल कर अब कांग्रेस ने अपनी मौजूदगी दिखाने का फैसला किया है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.