Congress: खोया हुआ जनाधार क्यों नहीं हासिल कर पा रही है कांग्रेस? पार्टी के इस नेता पर उठ रहा है सवाल

यह कोई पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी ने अपने ही नेताओं की निष्ठा को इस तरह खुलेआम संदिग्ध करार दिया हो।

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Congress: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के इस विचित्र कथन से कांग्रेस पार्टी (Congress Party) में असमंजस की स्थिति बन गई है। गुजरात में कांग्रेस के आधे नेता भाजपा से मिले हुए हैं?

राहुल गांधी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की निष्ठा पर सवाल उठाकर उन्हें हतोत्साहित किया है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी ने अपने ही नेताओं की निष्ठा को इस तरह खुलेआम संदिग्ध करार दिया हो।

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बोलने में माहिर, कार्रवाई करने में लचर
कांग्रेस आज उन राज्यों में भी तीसरे -चौथे नंबर का दल बनकर रह गई जो कभी उसके गढ़ थे। राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी में जान फूंकने की बात बार-बार करते हैं। लेकिन चुनाव -दर -चुनाव मिल रही करारी हार के लिए अपनी ही पार्टी के नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हैं। ‌ लेकिन सवाल उठता है की कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं पर कार्रवाई करने से राहुल गांधी को कौन रोक रहा है? गुजरात दौरे पर गए राहुल गांधी ने यह भी कहा कि कांग्रेस में बब्बर शेर है लेकिन वह बंधे हुए हैं समझना कठिन है कि वह कहना क्या चाहते हैं कहीं वह यह तो नहीं कहना चाहते कि यही बब्बर शेर जैसे कांग्रेस नेता भाजपा से मिले हुए हैं? राहुल गांधी ने अपने कांग्रेस नेताओं को बारात के घोड़े सरीखा करार दिया वह उनका निराधार ही है।

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महाराष्ट्र की हार को स्वीकार नहीं किया
राहुल गांधी महाराष्ट्र में मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर जिस तरह हो- हल्ला खड़ा कर रहे हैं। ‌ उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब हर साल मतदाता सूची में होने वाले पुनरीक्षण का कार्य किया जाता है तब कांग्रेस इस पर नजर क्यों नहीं रखती। चुनाव आयोग ने स्पेशल समरी रिवीजन 2025 को लेकर जानकारी दी है। ‌ जिसमें बताया गया है कि जनवरी 2025 में अंतिम रूप दी गई मतदाता सूची के सालाना पुनरीक्षण के लिए 7 अगस्त 2024 को अधिसूचना जारी की गई थी इस दौरान महाराष्ट्र से 90 शिकायतें मिलीं इनमें 89 को जिला निर्वाचन अधिकारी के स्तर पर ही निपटा दिया गया जबकि एक शिकायत बाद में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक पहुंची थी।

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चुनाव आयोग निशाने पर
हरियाणा के चुनाव नतीजे को सार्वजनिक रूप से अस्वीकार कर चुकी कांग्रेस ने महाराष्ट्र के वोटर लिस्ट में लोकसभा चुनाव के बाद हिमाचल प्रदेश के कुल मतदाताओं की संख्या के बराबर करीब 39 लाख लोगों के नाम चार-पांच महीने में जोड़े जाने का मुद्दा छोड़ नहीं है। देखना है कि अपनी हार का आत्म मंथन ना करके चुनाव आयोग पर सवाल उठाकर राहुल गांधी कांग्रेस का जनाधार कैसे बढ़ा पाएंगे?

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