Congress Working Committee की 8 जून को दिल्ली के अशोका होटल में हुई बैठक में सर्वसम्मति से राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया है। हांलाकि बताया यह भी जा रहा है कि फिलहाल राहुल ने नेता प्रतिपक्ष का पद स्वीकारने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें अभी इस बारे में विचार करने के लिए समय चाहिए।
दूसरी बड़ी पार्टी
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस को पिछले तीन लोकसभा चुनावों के बाद पहली बार बेहतर स्थिति में है। वह 99 सदस्यों के साथ संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। विपक्ष का नेता पद का दावा करने के लिए किसी भी दल के पास लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 10 प्रतिशत निर्वाचित सदस्य होने जरूरी हैं। पिछले दो लोक सभा चुनावों में कोई भी दल इस आहर्ता को पूरा नहीं कर सका था।
राहुल गांधी के नेतृत्व मे कांग्रेस ने लड़ा चुनाव
कांग्रेस इस बार राहुल गांधी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ी है। आज कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले सभी पार्टी नेताओं का कहना था कि राहुल गांधी को विपक्ष का नेता पद स्वीकार करना चाहिए। 8 जून को सायंकाल ही कांग्रेस संसदीय दल की बैठक भी आयोजित की जानी है, जिसमें संसदीय दल का नेता चयनित किया जाएगा।
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राहुल गांधी दावेदार
बैठक से पहले अधिकांश नवनिर्वाचित सांसदों और कांग्रेसी नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि वे चाहते हैं कि इस बार राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएं। इनका दावा है कि कांग्रेस ने इस चुनाव में 99 सीटों पर जीत हासिल की है। नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए कुल सीटों का 10 प्रतिशत होना चाहिए, इसलिए इस पद के लिए राहुल गांधी को सबसे दावेदार माना जा रहा है।
पार्टी नेताओं ने किया समर्थन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने परिणाम आने के बाद ही कह चुके हैं कि राहुल गांधी सदन में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाएं। सीडब्ल्यूसी बैठक में हिस्सा लेने आए कांग्रेस नेता डॉ. वीरप्पा मोइली ने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस वोट प्रतिशत और सीटें हासिल कीं। उस हिसाब से राहुल गांधी को इस देश का प्रधान मंत्री बनना चाहिए था लेकिन हम इससे चूक गए। उन्होंने आगे कहा कि देश और कांग्रेस के लोग चाहते हैं कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बनें।