संवैधानिक पदाधिकारियों को लेकर Vice President ने राजनेताओं को दी ये सलाह, जानें क्या ?

जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में, दुनिया में नालंदा से अधिक शक्तिशाली केंद्र नहीं है। “नालंदा, का इतिहास और विरासत दुनिया में अलग है और लोग इसे सलाम करते हैं।

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उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ ने 29 सितंबर को बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) में कहा कि यह चिंतन, मनन और चिंता का विषय है कि कुछ लोग राजनीतिक चश्मा पहनकर संवैधानिक पदाधिकारियों (Constitutional officials) पर अनुचित टिप्पणियाँ करते हैं। उन्होंने इस तरह के व्यवहार को अपनी सांस्कृतिक लोकाचार के खिलाफ बताते हुए कहा कि ”जो व्यक्ति जितने ऊंचे पद पर होता है, उसका आचरण उतना ही मर्यादित होना चाहिए। राजनीतिक लाभ (political advantage) लेने के लिए कोई भी टिप्पणी करना अच्छी बात नहीं है।” जब संवैधानिक संस्थाओं की बात आती है तो सभी को काफी जिम्मेदार होने का आह्वान करते हुए, धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि “हमें केवल राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए संवैधानिक पदाधिकारियों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। यह स्वीकार्य नहीं है।”

नालंदा, का इतिहास और विरासत दुनिया में अलग
जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में, दुनिया में नालंदा से अधिक शक्तिशाली केंद्र नहीं है। “नालंदा, का इतिहास और विरासत दुनिया में अलग है और लोग इसे सलाम करते हैं।” आपको इस विरासत को ऊंचे स्तर पर ले जाना है।” यह देखते हुए कि नालंदा का पुनर्जन्म हमें ज्ञान के प्रसार के लिए वैश्विक आधार प्रदान करेगा, उन्होंने हाल ही में संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि में नालंदा महाविहार छवि के उपयोग की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “नालंदा की उस पृष्ठभूमि में, नेताओं का स्वागत और अभिनंदन किया गया, जो आपके ज्ञान की स्वीकार्यता, गैर-विवादास्पद, गैर-टकरावपूर्ण, सहयोगात्मक, सहकारी, सहमतिपूर्ण और विकास के लिए अनुकूल है।”

युवाओं को बताया लोकतंत्र का योध्या
युवाओं को ‘लोकतंत्र के योध्या’ बताते हुए उन्होंने उन्हें देश की छवि खराब करने के लिए सोशल मीडिया पर चल रहे नरेटिव के बारे में आगाह किया और उनसे ऐसे मुद्दों पर अपने मन की बात कहने को कहा। उन्होंने जोर देकर कहा, “यह आपकी बुद्धिमत्ता है जिसे इस तरह के आख्यानों को बेअसर करना है, यह इस समाज के प्रति आपका दायित्व है कि आपको ऐसे भयावह विचारों और आख्यानों को रोकने के लिए सक्रिय होना चाहिए।”

भारत को निभानी है बड़ी भूमिका
इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि यह सदी एशिया की है, धनखड़ ने कहा कि “इस तंत्र के उद्भव में, भारत को बहुत बड़ी भूमिका निभानी है और भारत के लिए यह भूमिका कुछ ऐसी है जो केवल युवा दिमाग ही कर सकते हैं।” इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति ने भारत में अपनी तरह का पहला शून्य उत्सर्जन और शून्य अपशिष्ट परिसर होने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय परिसर की भी प्रशंसा की।

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