भारत में हिजाब पर विवादः इन देशों में पहले से ही है पाबंदी, कई मुस्लिम देश भी शामिल

विश्व के कई देशों में हिजाब या बुर्का पहनने पर पाबंदी है। इनमें यूरोपीय देश सबसे आगे हैं। हिजाब पर बैन लगाने वालों में कई मुस्लिम देश भी शामिल हैं।

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कर्नाटक के साथ ही भारत के अन्य राज्यों में भी हिजाब पर विवाद जारी है। इस मामले में राजैनितक हस्तक्षेप ने धार्मिक उन्माद और बढ़ा दिया है। हैरानी की बात तो यह है कि जिस हिजाब को लेकर देश में विवाद जारी है, वह कई दूसरे देशों के साथ ही कई इस्लामिक देशों में भी प्रतिबंधित है।

विश्व के कई देशों में हिजाब या बुर्का पहनने पर पाबंदी है। इनमें यूरोपीय देश सबसे आगे हैं। सुरक्षा कारण बताकर उन्होंने इस तरह की तथाकथित धार्मिक प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया है। हिजाब पर बैन लगाने वालों में कई मुस्लिम देश भी शामिल हैं।

फ्रांस
फ्रांस स्कूलों में हिजाब पर बैन लगाने वाला पहला देश है। उसने 2004 में स्कूलों में धर्म के नाम पर हिजाब या किसी भी तरह के परिधान पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद 2011 में सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर भी हिजाब या पूरा चेहरा ढकने वाले परिधानों पर बैन लगा दिया। फ्रांस में हिजाब और बुर्का को लेकर कितनी सख्ती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां चेहरा ढकने पर 13 हजार रुपए दंड का प्रावधान है। इसके साथ ही अगर कोई किसी महिला को इस तरह के कपड़े पहनने के लिए सख्ती करता है, तो उस पर 26 हजार रुपए के दंड का प्रावधान है।

रुस 
रूस में 2013 में स्कूलों में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगा दी थी। इस मामले को लेकर कट्टरपंथियों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी। न्यायालय ने हिजाब पर बैन के फैसले को सही ठहराया था।

स्विट्जरलैंड
अप्रैल 2021 से स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक स्थानों पर मुस्लिम महिलाओं के बुर्का और हिजाब से चेहरा ढकने पर रोक लगा दी गई है। यह रोक जनमत संग्रह के बाद लगाई गई है। फ्रांस, बेल्जियम और ऑस्ट्रिया आदि देशों में पहले से ही इस तरह की पाबंदी लागू है। यह निर्णय लेने से पहले स्विट्जरलैंड में जनमत संग्रह कराया गया था, जिसमें 51 फीसदी लोगों ने बुर्के और हिजाब पहनने के खिलाफ वोट दिया था। इस प्रतिबंध के लागू हो जाने के बाद अब मुस्लिम महिलाएं रेस्तरां, खेल के मैदान और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब और बुर्के पहनकर नहीं जा सकेंगी। हालांकि धार्मिक स्थलों पर जाते समय बुर्का और हिजाब पहनने पर छूट दी गई है।

नीदरलैंड
बेल्जियम में 2011 से ही हिजाब पहनने पर पाबंदी है। उसके पड़ोसी देश नीदरलैंड में भी स्कूल, अस्पताल, सार्वजनिक परिवहन और सरकारी भवनों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने या चेहरा ढकने पर पाबंदी है। यहां तक कि इस तरह के परिधान को पहनना यहां अपराध की श्रेणी में रखा गया है और इस पर सजा तथा दंड का प्रावधान है।

चाड
चाड मुस्लिम बहुलता वाला देश है। इसके बावजूद यहां हिजाब और बुर्का पर बैन है। इसे सुरक्षा कारणों से बैन किया गया है। आतंकी संगठन बोको हरम द्वारा कराए गए विस्फोट के बाद सरकार ने यह निर्णय लिया है। इस विस्फोट में 34 लोगों की मौत हो गई थी।

बुल्गारिया
यहां की सरकार ने 2016 से ही चेहरा ढकने को गैरकानूनी बताते हुए हिजाब जैसे परिधानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यहां तक कि जो लोग इस आदेश का पालन नहीं करते हैं, उन पर 66 हजार रुपए दंड लगाने का प्रावधान है। सुरक्षा एजेंसियों ऐसे लोगों पर नजर रखती हैं।

डेनमार्क 
यहां की संसद ने सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा रखा है। यहां तक कि चेहरा ढकने पर इस देश में 12 हजार का दंड है। इसके साथ ही अगर वह महिला दोबारा हिजाब या बुर्का पहने पकड़ी जाती है, तो उससे 85 हजार रुपए का दंड वसूसने का प्रावधान है।

सीरीया
सीरीया मुस्लिम बहुल देश है। यहां की 70 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है। वहीं, इजिप्ट में मुस्लिम आबादी करीब 90 प्रतिशत है। लेकिन यहां भी हिजाब पहनकर विश्वविद्यालयों में जाने की अनुमति नहीं है। इस पर पहले 2010 और फिर 2015 में प्रतिबंध लगाया गया है।

चीन
चीन की जिनपिंग सरकार ने भी स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनकर आने पर पाबंदी लगा रखी है। चीन में किसी भी तरह के धार्मिक परिधान पहनकर स्कूल-कॉलेज या सरकारी कार्यालयों में एंट्री पर रोक है।

इन देशों में भी बैन
2019 मे आस्ट्रिया ने भी बुर्का पहनने पर बैन लगा दिया था। इसके साथ ही इटली,जर्मनी,ऑस्ट्रिया, नॉर्वे,स्पेन,ब्रिटेन, तुर्की,अफ्रीका में भी हिजाब पहनने या पूरा चेहरा ढकने पर प्रतिबंध है।

बैन के कारण
जिन देशों में ये बैन लगाया गया है, उनमें से ज्यादातर देशों का कहना है कि बुर्के की आड़ में आतंकवादी अपने काम को अंजाम दे देते हैं। लोगों को लगता है कि बुर्के में कोई महिला होगी। इस वजह से आतंकी अपनी घटना को आसानी से अंजाम दे देते हैं। यूरोपीय देशों में ऐसी कई घटनाएं घट चुकी हैं।

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