Conversion: आदिवासियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों की अब खैर नहीं, शिंदे सरकार के मंत्री ने किया ये वादा

सभी दलों के विधायकों ने जोर-जबरदस्ती और प्रलोभन से आदिवासियों के धर्मांतरण का विरोध करने पर सहमति जतायी।

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Nagpur: महाराष्ट्र में मूल आदिवासियों(original tribal) को तरह-तरह के प्रलोभन देकर धर्मांतरण(conversion by inducement) कराने वालों की अब खैर नहीं। कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा(Minister Mangal Prabhat Lodha) ने आश्वासन दिया कि वे इस गंभीर मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार (Chief Minister Eknath Shinde, Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis and Ajit Pawar )के साथ चर्चा करेंगे। 14 दिसंबर को विधान परिषद(Legislative Assembly) में उन्होंने यह आश्वासन दिया। लोढ़ा ने आगे कहा कि अगर जबरन धर्म परिवर्तन की शिकायत आती है, तो उस पर सरकार तुरंत संज्ञान लेगी और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई(Strict action against the accused) की जाएगी।

भाजपा विधायकों ने उठाया जबरन धर्मांतरण का मुद्दा
भारतीय जनता पार्टी(Bharatiya Janata Party) विधायक प्रवीण दरेकर और निरंजन डावखरे ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव (calling attention motion)के जरिए आदिवासियों के धर्मांतरण का मुद्दा उठाया। राज्य के कई आदिवासियों ने अपना धर्म छोड़कर इस्लाम और ईसाई धर्म अपना लिया है। ऐसे में उन्हें आदिवासियों और धर्मांतरण के सरकारी रियायतों का दोहरा लाभ मिल रहा है। इससे मूल आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। इस गंभीर मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए मूल आदिवासी भाइयों ने संविधान दिवस के मौके पर मुंबई में एक भव्य मार्च निकाला। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि आदिवासियों से दूसरे धर्म में परिवर्तित होने वाले व्यक्तियों और समुदायों को मूल अनुसूचित जनजातियों की सूची से और आरक्षण के लाभ से बाहर किया जाना चाहिए। यह देखा गया है कि कुछ फर्जी छात्रों ने आदिवासी होने की आड़ में कौशल विभाग आईटीआई में प्रवेश लिया है। इसलिए दारेकर और डावखरे ने मांग की कि उनके खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की जानी चाहिए।

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मंत्री लोढ़ा ने दिया आश्वासन
मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने इस ध्यानाकर्षण का जवाब देते हुए कहा, “आदिवासी समुदाय ने अपनी मूल संस्कृति को बचाकर दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। लेकिन कुछ मामलों में मूल आदिवासियों को तरह-तरह का प्रलोभन दिखाकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इसलिए हजारों वर्षों की यह मूल भारतीय संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर है। भारत के संविधान के अनुसार, यदि कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति धर्म परिवर्तन कर अपनी मूल संस्कृति से दूर चला जाता है, तो उसके अनुसूचित जाति और जनजाति के विशेषाधिकार समाप्त हो जाते हैं। इस बीच, कुछ धर्मांतरित लोग मूल आदिवासियों से रियायतें ले रहे हैं। ऐसा प्रदेश के आईटीआई में देखने को मिला है। इसलिए मामले की गहनता से जांच के लिए सेवानिवृत्त कुलपति की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी। समिति में सभी राजनीतिक दलों (विधानसभा/विधान परिषद) के प्रतिनिधि और आदिवासी समुदाय के दो व्यक्ति शामिल होंगे। कमेटी 45 ​​दिन के अंदर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। लोढ़ा ने सदन को आश्वासन दिया कि इसके बाद कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

धर्मांतरण पर रोक
सभी दलों के विधायकों ने जोर-जबरदस्ती और प्रलोभन से आदिवासियों के धर्मांतरण का विरोध करने पर सहमति जतायी। विधायक प्रवीण दरेकर, राजहंस सिंह और गोपीचंद पडलकर ने धर्मांतरण पर रोक लगाने वाला कानून बनाने की मांग की। वहीं, डिप्टी स्पीकर नीलम गोर्हे ने भी कहा कि प्रलोभन दिखाकर धर्म परिवर्तन कराना गलत है। विधायक एकनाथ खडसे ने मांग की कि जबरन धर्म परिवर्तन का विरोध किया जाना चाहिए। इस बीच, मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने बताया कि इस संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के साथ चर्चा के बाद आगे आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे।

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