देश में हर दिन कोरोना संक्रमण के आंकड़े कम हो रहे हैं, वहीं मौत का आंकड़ा एक दिन कम हो जाता है, तो दूसरे दिन अचानक काफी बढ़ जाता है। इससे लोगों के साथ ही केंद्र सरकार की भी चिंता बढ़ रही है। दरअस्ल देश के कई राज्यों में कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़ो को छुपाने का गंदा खेल खेला जा रहा है। इन प्रदेशों में महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश के साथ ही यूपी-बिहार भी शामिल हैं। इन प्रदेशों मे विपक्ष सरकार पर मौत के आंकड़ों को छुपाने का आरोप काफी पहले से ही लगाते रहे हैें।
महाराष्ट्र में विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने पिछले दिनों राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार पर मौत के आंकड़े को छिपाने का आरोप लगाया था। इसी तरह बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी नीतीश सरकार पर कोरोना से मरनेवालों की संख्या कम बताने का आरोप लगाते रहे हैं। इसी तरह गुजरात की रुपानी सरकार भी इसे लेकर कटघरे में खड़ी की जाती रही है।
महाराष्ट्र ने जारी किया अतिरिक्त मौत का आंकड़ा
महाराष्ट्र में 13 मई को 2,288 पुरानी मौतों को भी शामिल कर दिया गया। इसी तरह 17 मई से 13 जून के बीच कुल 17,724 पुरानी मौतों को जोड़ने के कारण यहां मौत का आंकड़ा बढ़ा हुआ दिखा। 13 जून को महाराष्ट्र में 483 नए मरीजों की मौत का आंकड़ा पाया गया, लेकिन इसके साथ पुरानी 2,288 मौतों को भी जारी किया गया। जाहिर तौर पर जो आंकड़े हर दिन जारी किए जा रहे हैं, वे नए नहीं हैं और उनमें कई पुराने केसों को भी जोड़ दिया जा रहा है। यह केवल महाराष्ट्र की ही बात नहीं है, अन्य प्रदेशों का भी कमोबेश यही हाल है।
इस तरह अचानक बढ़ जाते हैं आंकड़े
देश में कोरोना संक्रमण लगातार कम होना राहत की बात है, लेकिन मौतों पर कंट्रोल नहीं होना लोगों के साथ ही सरकार की भी चिंता बढ़ा रही है। विशेष कर 10 जून को मौत का आंकड़ा 6148 था। इससे पहले प्रति दिन मौत का आंकड़ा औसतन 2500 था। मौत के आंकड़े में आए अचानक उछाल से सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या मौत का आंकड़ा छुपाया जा रहा है।
बिहार ने जारी किया अतिरिक्त मौत का आंकड़ा
पिछले 8 जून को देश में मौत का आंकड़ा बढ़ने का संबंध विशेष रुप से बिहार से रहा। बिहार में एक दिन में कोरोना से मौत का आंकड़ा 73 प्रतिशत बढ़ गया। देश में 7 जून को मौत का कुल आंकड़ा 5424 था, जबकि 8 जून को यह बढ़कर 9375 हो गया। यानी मात्र एक दिन में मौत का आंकड़ा 3951 बढ़ गया। इसी आंकड़े के कारण देश में मौत का आंकड़ा भी बढ़ गया। पटना में सबसे ज्यादा 1070 अतिरिक्त मौत जुड़ गई। वहीं बेगूसराय में 316, मुज्जफरपुर में 314, नालंदा में 222 अतिरिक्त मौतें जोड़ दी गईं।
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यह बताया गया कारण
बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित कई मरीजों की मौत घर में आइसोलेश के दौरान हो गई। कुछ मरीजों की मौत घर से अस्पताल ले जाते समय हो गई, जबकि कई लोगों की मौत कोरोना से ठीक होने के बाद हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि जांच के बाद ऐसे कई मामलों को जोड़ा गया। हालांकि ये नहीं बताया गया कि ये अतिरिक्त मौतें कब हुईं।
न्यायालय में पहुंच गया मामला
बिहार में कोरोना से मौत के आंकड़े छुपाने को लेकर लगातार सवाल उठता रहा है। ये मामला पटना उच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है। उच्च न्यायालय ने पिछले महीने बिहार सरकार को कोरोना से मौत के आंकड़ों की सही गिनती करने की हिदायत दी थी। इसके लिए एक कमेटी गठित की गई थी। उसके बाद मौत के आंकड़े बढ़े हुए पाए जाने लगे। आखिरकार बिहार सरकार ने उन आंकड़ों को जोड़ कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जारी कर दिया।
इस तरह जारी किए जाते हैं आंकड़े
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय प्रति दिन राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर नए कोरोना मरीजों के मामलों के साथ ही मौत का आंकड़ा भी जारी करता है। प्रायः कोरोना अस्पताल प्रशासन राज्य सरकार को मौत के आंकड़े उपलब्ध कराते हैं। राज्यों का यह आंकड़ा केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के पास आता है। लेकिन दूसरी लहर के दौरान काफी लोगों की मौत घर पर ही हो गई थी। उन्हें अस्पताल जाने का समय ही नहीं मिला या बेड खाली नहीं होने से वे अस्पताल में भर्ती नहीं कराए जा सके। ऐसे लोगों की संख्या को अस्पताल और राज्यों ने अपने डेली डाटा सिस्टम में अपडेट नहीं किया। बिहार पहला राज्य है, जहां अतिरिक्त मौत के आंकड़ों को जोड़ा गया। उसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी ऐसा करते हुए 13 मई के आसपास मरीजों की मौते के अतिरिक्त आंकडों को जारी किया।
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क्यों छुपाए जा रहे हैं मौत के आंकड़े?
अब सवाल यह उठता है कि क्या कोरोना मरीजों की मौत के आंकड़ों को राज्य सरकारों द्वारा जान-बुझकर छिपाया जा रहा है? और अगर ऐसा किया जा रहा है तो इसका कारण क्या है? इन सवालों पर विचार करने पर यह बात सामने आती है कि राज्य सरकारें बदनामी से बचने के लिए इस तरह का हथकंडा अपना रही हैं। कुछ हद तक ये बात भी सही है कि कई कोरोना मरीजोंं के घर में या अस्पताल में ले जाते समय रास्ते में मौत हो जाने पर राज्य सरकार के पास जानकारी आने में देरी हो सकती है। हालांकि बिहार और महाराष्ट्र ने अतिरिक्त मौत के आंकड़ों को बाद में जारी कर दिया, लेकिन अन्य प्रदेशों ने ऐसा नहीं किया।