Chhattisgarh: गौ तस्करी संज्ञेय और गैर जमानती अपराध, इतने साल की सजा का प्रावधान

गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि नोडल अधिकारी लाइसेंस देने के लिए तय होंगे। हर थाने में सार्वजनिक जगहों पर इनके नंबर दिए जाएंगे ताकि लोग अवैध परिवहन की जानकारी दे सकें।

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Chhattisgarh में गौ वंश के अवैध परिवहन को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कुछ बड़े सख्त फैसले लिए हैं। प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने इन फैसलों की 16 जुलाई को जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि गौ तस्करी संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होगा।

सक्षम अधिकारी की अनुज्ञा से ही गौवंश का परिवहन होगा, जबकि बगैर अनुज्ञा गौवंश का परिवहन अवैध माना जायेगा। इतना ही नहीं बल्कि गाड़ी राजसात होगी और मालिक पर भी प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। बताया गया हैं कि गोवंश तस्करी से बने संपत्ति को कुर्क किया जाएगा। इस पूरे कानून के सख्ती से पालन करने जिला स्तर पर नोडल अधिकारी बनाए जायेंगे।

मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि नोडल अधिकारी लाइसेंस देने के लिए तय होंगे। हर थाने में सार्वजनिक जगहों पर इनके नंबर दिए जाएंगे ताकि लोग अवैध परिवहन की जानकारी दे सकें।

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पुलिस को सर्कुलर जारी
गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि इस संबंध में डीजीपी कार्यालय की तरफ से प्रदेश भर की पुलिस के लिए सर्कुलर भी जारी कर दिया गया हैं। नए कानून के मुताबिक़ अब गौ-तस्करी करने पर 7 साल की सजा तय कर दी गई है। इसी तरह 50 हजार रुपये तक के जुर्माने के प्रावधान को भी जोड़ा गया हैं। नए कानून के मुताबिक़ अब खुद आरोपित को ही बेगुनाही का सबूत देना होगा।

अभियान चलाकर होगी कार्रवाई
छत्तीसगढ़ के डी जी पी अशोक जुनेजा के हस्ताक्षर से एक सर्कुलर सभी रेंज के आई जी , एस पी और एस एस पी को भेजा गया है। इस सर्कुलर में बताया गया है कि हाल ही में गौ-वंश और दुधारू पशुओं के परिवहन तस्करी, वध या मांस बेचे जाने की वजह से कानून-व्यवस्था प्रभावित हुई है। ऐसे अवैध कामों में शामिल लोगों के खिलाफ विशेष अभियान चलाकर कार्रवाई करनी है।

अवैध परिवहन करना पहले से ही बैन
सरकार ने साफ कहा है कि गौ-वंश का अवैध परिवहन किया तो कार्रवाई होगी। कृषक पशु कैटेगरी में आने वाले पशुओं का अवैध परिवहन करने पर कार्रवाई होगी। इसमें गाय, बछड़ा, बछिया, भैंस के बच्चे, सांड, बैल, भैंसा और भैंस शामिल है। इनका कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 के तहत इनका मांस रखना बेचना, इनका अवैध परिवहन करना पहले से ही प्रदेश में बैन है।

डीजीपी के सर्कुलर में कहा गया है कि सेटिंगबाज एस पी और थानेदार भी नहीं बचेंगे। कहा गया है कि जहां से पशु का परिवहन शुरू हुआ और जहां गाड़ी जब्त की गई उसके बीच में पड़ने वाले जिलों के एस पी और थाना प्रभारियों के सर्विस बुक में निगेटिव टिप लिखी जाएगी। ऐसा 5 बार से ज्यादा बार हुआ तो अनुशासनात्मक कार्रवाई भी होगी।

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