वीर सावरकर का जीवन एक पुस्तक में समेटना संभव नहीं – राजनाथ सिंह

स्वातंत्र्यवीर सावरकर क्रांतिकारी ही नहीं एक विचारक थे। उनके विचारों को मानते तो भारत का विभाजन नहीं होता। उनका हिंदुत्व बिन शर्त का राष्ट्रवाद है। उदय माहूरकर की पुस्तक इसी तत्व को ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत करती है।

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स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन पर उदय माहूरकर द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर रक्षामंत्री ने कहा कि वीर सावरकर के जीवन को एक पुस्तक में समेटना संभव नहीं है। वहीं, मोहन भागवत ने कहा कि, वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चली थी।

वीर सावरकर की व्याख्या एक पुस्तक में संभव नहीं
राजनाथ सिंह ने कहा कि, मुझे प्रसन्नता है पिछले कुछ वर्षों मे वीर सावरकर के जीवन पर कुछ लोगों ने बहुत मेहनत से शोध किया, एक ईमानदार विश्लेषण किया, जिसका नतीजा है कि आज वीर सावरकर के जीवन पर कुछ अच्छी और शोधपरक किताबें उपलब्ध हो पाई हैं। यह किताब भी इस श्रृंखला में एक नई कड़ी बनेगी। यह किताब लोगों को स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन के संघर्षों के बारे में बताएगी, परंतु वीर सावरकर के जीवन की व्याख्या एक किताब में संभव नहीं है।

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वीर सावरकर राष्ट्रवादी थे और कुछ नहीं
रक्षामंत्री ने कहा कि, यह किताबें वीर सावरकर के जीवन के बारे में भ्रांतियों को समाप्त करेगी। वीर सावरकर पर बहुत कुछ उनके द्वारा लिखा गया है जिनकी एक निश्चित विचारधारा है, इसलिए लोग वीर सावरकर को समझ नहीं पाए हैं। सावरकर का मानना था कि सशस्त्र विद्रोह भी एक विकल्प होना चाहिए। कुछ लोग उन्हें होम फासिस्ट या मार्क्सवादी या लेनिन की विचारधारा से प्रेरित बताते हैं, परंतु वीर सावरकर एक राष्ट्रवादी थे और कुछ नहीं।

बता दें कि प्रखर राष्ट्रवादी और स्वतंत्रता सेनानियों के मुकुटमणि एवं विचारक वीर सावरकर के जीवन पर उदय माहूरकर एवं चिरायु पंडित ने पुस्तक लिखी है। ‘वीर सावरकर: द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टीशन’ नामक इस पुस्तक के विमोचन समारोह में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत उपस्थित थे।

वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम
वीर सावरकर के जीवन के बारे में सही जानकारी का अभाव है। यह तीसरी पुस्तक है। दो पुस्तक विक्रम संपत ने लिखी हैं, ये एक पुस्तक है। जिन्हें वीर सावरकर के जीवन का अध्ययन करना है उन्हें निश्चित ही इन पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। स्वतंत्रता के बाद सावरकर जी को बदनाम करने की मुहिम चली थी। पी परमेश्वरन का लेख पढ़ा था, उन्होंने लिखा था कि संघ और सावरकर जी पर बड़ी टिका टिप्पणी हो रही है, लेकिन इसका मूल लक्ष्य ये नहीं हैं, इसका लक्ष्य हैं स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद। भारत की वास्तविक राष्ट्रीयता है उसका प्रथम उद्घोष इन तीनों ने किया था। सावरकर जी के बारे में लिखते समय यह कहा गया है कि सावरकर जी ऐसे इन तीन लोगों के विचारों के कारण बने हैं। इसका कारण है कि भारत राष्ट्रीयता है, जो पूरे दूनिया को जोड़ने का मार्ग उजागर करती है, और उनके जुड़ने से जिन्हें लगता है कि उनकी दुकान बंद हो जाएगी वो ऐसा नहीं होने देना चाहते थे।

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