संसद का वर्षाकालीन सत्र समाप्ति के अंतिम सप्ताह में है। यह सत्र पेगासस जासूसी प्रकरण की भेंट चढ़ गया। इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय ने संसद को सूचित किया है कि उसने इज़राइल स्थित कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजी के साथ कोई लेनदेन नहीं किया है। विवादास्पद पेगासस स्पाइवेयर इसी कंपनी का उत्पाद है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सदस्य वी शिवदासन ने पूछा था कि क्या सरकार ने एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजीज के साथ कोई लेनदेन किया है? और यदि लागू हो तो उसका विवरण दें। इस प्रश्न के लिखित उत्तर में, राज्य मंत्री (रक्षा) अजय भट्ट ने सोमवार को कहा, रक्षा मंत्रालय का एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजीज के साथ कोई लेनदेन नहीं है।
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भारत में पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल पर किसी सरकारी एजेंसी की ओर से यह पहली सीधी और आधिकारिक प्रतिक्रिया है। इस विवाद के परिणामस्वरूप संसद के मानसून सत्र में कार्यवाही के दौरान गतिरोध बना रहा है। विपक्ष के नेता इस मुद्दे पर दोनों सदनों में चर्चा करने और विरोध प्रदर्शन करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने मांग नहीं मानी है।
पिछले हफ्ते विपक्षी दलों के अठारह नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी। उनके द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि,
विपक्षी दल दोनों सदनों में पेगासस मुद्दे पर चर्चा की अपनी मांग पर दृढ़ और एकजुट हैं, जिसका जवाब गृह मंत्री ने दिया, क्योंकि इसके परिणम राष्ट्रीय सुरक्षा ले जुड़े हैं।
सुप्रीम कोर्ट पेगासस मुद्दे की स्वतंत्र जांच की मांग करनेवाली याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रहा है। गुरुवार को अदालत ने कहा था कि अगर इस बारे में मीडिया में आई खबरें सही हैं तो जासूसी के आरोप ‘गंभीर’ हैं।
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