Delhi Assembly Elections: आम आदमी पार्टी ने 15 दिसंबर को 38 उम्मीदवारों की अपनी अंतिम सूची जारी कर दी । इस तरह से आम आदमी पार्टी ने अपने सभी 70 उम्मीदवारों की पूरी लिस्ट जारी कर दी है । हालांकि मुख्य विपक्षी दल भाजपा की तरफ से अभी तक कोई हलचल नहीं है ।
आम आदमी पार्टी की सूची के अनुसार पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे और मुख्यमंत्री आतिशी एक बार फिर से कालकाजी सीट से चुनाव मैदान में होंगी। केजरीवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि आम आदमी पार्टी पूरे आत्मविश्वास और पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ेगी । लेकिन भाजपा गायब है, उसके पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं है। केजरीवाल को दिल्ली में अपने मुफ्त वाली योजनाओं जैसे कि बिजली, पानी, डीटीसी महिलाओं की मुफ्त यात्रा पर काफी भरोसा है।
सत्ता विरोधी लहर का डर
केजरीवाल ने अपने 20 विधायकों के टिकट काट दिये हैं । पार्टी के कद्दावर नेता मनीष सिसोदिया की सीट बदल दी गई है । राजनीतिक जानकारों का कहना है कि केजरीवाल को सत्ता विरोधी लहर का डर सता रहा है । इसलिए उसने 20 विधायकों को टिकट नहीं दिया है।
दो मुख्यमंत्रियों के बेटे देंगे टक्कर
इस बीच कांग्रेस ने 21 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित भी शामिल है । जो नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल को चुनौती देंगे। भाजपा ने दिल्ली विधानसभा के लिए अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, हालांकि भाजपा नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को उतारने की योजना बना रही है
प्रवेश वर्मा का केजरीवाल पर हमला
प्रवेश वर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार का कुल बजट 76000 करोड़ रुपए है, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने अपनी ही विधानसभा सीट पर 1000 करोड़ रुपए भी खर्च नहीं किये। यह जनता का पैसा कहां जा रहा है? केजरीवाल सरकार ने नई दिल्ली की जनता से सिर्फ वादे किए, काम नहीं किया । भाजपा नेता का कहना है कि दिल्ली में बिजली ,पानी और स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े-बड़े दावों के बावजूद राजधानी के लोग मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं । उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार अगर आती है तो पारदर्शिता और विकास को प्राथमिकता देगी।
केजरीवाल के लिए चुनौती
अरविंद केजरीवाल के लिए यह चुनाव न केवल उनकी राजनीतिक लोकप्रियता की परीक्षा है बल्कि यह समय उनके कामकाज की समीक्षा का भी है। केजरीवाल नई दिल्ली सीट से 2013, 2015 और 2020 के चुनाव में जीते हैं लेकिन इस बार चुनौती पहले से अधिक है । विपक्ष का आरोप है कि नई दिल्ली जो मुख्यमंत्री की अपनी विधानसभा है, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी है।