Delhi Assembly Elections: भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में जीत का सूखा खत्म करने के लिए पूर्व सांसदों, शक्तिशाली पार्षदों और वरिष्ठ नेताओं को भी मैदान में उतारने की रणनीति बना रही है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि जेडीयू और एलजेपी को संगम विहार, बुराड़ी, सीमापुरी समेत कुछ मुस्लिम बहुल सीटें दी जा सकती हैं। लेकिन सूत्रों का यह भी कहना है कि यह संख्या पांच से ज्यादा नहीं होगी।
भाजपा झारखंड की तर्ज पर दिल्ली विधानसभा चुनाव में जेडीयू और एलजेपी (आर) के साथ गठबंधन करेगी। पार्टी ने दोनों सहयोगियों को तीन से पांच सीटें देने का फैसला किया है। विधानसभा चुनाव की तैयारियों को तेज करने के लिए इसी सप्ताह कोर ग्रुप के साथ बैठक आयोजित की गई है।
जनवरी 2025 में हो सकता है चुनाव
बता दें कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल अगले साल फरवरी में खत्म होगा। ऐसे में अगले साल जनवरी के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
संघ की रणनीति
महाराष्ट्र, झारखंड के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता दिल्ली विधानलभा चुनाव में जुट जाएंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आरएसएस हरियाणा की तर्ज पर अपनी पूरी ताकत झोंकने जा रहा है। संघ सूत्रों ने बताया कि फिलहाल उनके कार्यकर्ता महाराष्ट्र और झारखंड में डेरा डाले हुए हैं। 20 नवंबर को मतदान के बाद सभी स्वयंसेवक दिल्ली के लिए रवाना हो जायेंगे। ऐसे में इस महीने के आखिरी हफ्ते में चुनाव प्रचार तेज हो जाएगा। टीम ने घर-घर जाने की योजना बनाई है।
Bangladesh:180 प्रभावशाली लोगों की युनूस सरकार में बढ़ीं मुश्किलें, जानिये क्या है पूरी खबर
बड़े नेताओं के टिकट कटने की आशंका
मौजूदा विधायकों का टिकट कट सकता है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा और रमेश विधूड़ी को भी विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया जा सकता है। इन दोनों नेताओं को लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था। इसके अलावा कम से कम आठ मुख्य पार्षद भी चुनाव लड़ सकते हैं, हालांकि, यह भी कहा गया कि ज्यादातर मौजूदा विधायकों को टिकट मिलने की संभावना नहीं है।