-नरेश वत्स
Delhi Assembly Polls: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) राजनीति में ईमानदारी, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए आए थे। अन्ना आंदोलन (Anna Movement) में अरविंद केजरीवाल ने ईमानदार नेता की छवि बना ली थी। इसका फायदा उनको राजनीति में खूब मिला लेकिन एक दशक तक राजनीति में रहने के बाद अरविंद केजरीवाल पूरी तरह बदल चुके हैं।
वह शराब घोटाला भ्रष्टाचार मामले में जेल जा चुके हैं। उनकी कैबिनेट के कई मंत्री शराब घोटाले में जमानत पर हैं। केजरीवाल की राजनीति कभी हिंदुओं को खुश करने की हो जाती है तो कभी वह मुसलमानों के प्रति प्यार जताते हैं। खासकर चुनाव के वक्त तो वह चुनावी हिंदू बन जाते हैं।
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कैमरे के सामने हिंदुत्व का प्रदर्शन
अरविंद केजरीवाल दूसरी पार्टियों की तरह धर्म की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंंने वर्ष 2013-14 में अन्ना आंदोलन को स्थापित किया था। अरविंद केजरीवाल को जब यह पता चला कि वे सिर्फ मुसलमान के सहारे सत्ता हासिल नहीं कर सकते तो उन्होंने हिंदुत्व का चोला पहन लिया। केजरीवाल को लगता है कि मुसलमानों के सहारे सत्ता हासिल नहीं की जा सकती। इसलिए उन्होंने हनुमान भक्त के रूप में अपनी छवि बनाने की कोशिश की है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने सभी वर्गों को खुश करने के लिए मुफ्त की रेवड़ियां जमकर बांटीं।
पुजारियों और ग्रंथियों को पैसे देने की घोषणा
धर्म के आधार पर पैसा देना उनकी नई राजनीति का हिस्सा है। केजरीवाल ने पुजारी और ग्रंथियों को 18000 रुपये मासिक पेंशन देने का ऐलान कर दिया और कहा कि पुजारी और ग्रंथि हमारे धार्मिक रीति-रिवाज के संरक्षण रहे हैं जो निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करते हैं दुर्भाग्य से किसी ने कभी भी उनकी वित्तीय भलाई का ध्यान नहीं रखा उन्होंने कहा देश में ऐसा पहली बार हो रहा है लेकिन दुर्भाग्य है आज तक किसी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया है। राजनीतिक जानकार अरविंद केजरीवाल के इस ऐलान को चुनावी लाभ लेने के लिए उठाया गया कदम बताते हैं ।
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मंदिर और धार्मिक स्थलों के लिए बजट
आम आदमी पार्टी ने मंदिरों और धार्मिक स्थलों के विकास के लिए बजट आवंटित करने की भी बात की है ताकि उनकी मरम्मत और साज सज्जा की जा सके यह कदम धार्मिक समुदाय को आकर्षित करने के लिए है । चुनाव से पहले पार्टी के नेता और विधायक विभिन्न त्योहारों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और उन आयोजनों में शामिल होते हैं।cleardot.gifसोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल चुनावी हिंदू है। इस पर बहस चल रही है। अरविंद केजरीवाल चुनाव के वक्त हिंदू बन जाते हैं। खासकर अपने आप को हनुमान भक्त बताते हैं।
केजरीवाल ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि बचपन से मैं हनुमान जी का भक्त हूं । पूरी रात बैठकर कभी 250- 300 बार मैंने हनुमान जी की आरती की है । जीवन में कोई कठिनाई आए तो उनके शरण में चले जाओ सारे संकट दूर हो जाते हैं। यह पहली बार नहीं है, जब अरविंद केजरीवाल ने खुद को हनुमान भक्त बताया है। नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अपना नामांकन दाखिल करने से पहले वे कनॉट प्लेस के प्राचीन हनुमान मंदिर पहुंचे थे।
नोटों पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर
- अरविंद केजरीवाल ने 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार से मांग की थी कि भारतीय करेंसी नोटों पर हिंदू देवी- देवताओं की तस्वीर होनी चाहिए। जनवरी
- 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हुआ।इस दिन अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में रामलीला का मंचन किया। आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने प्रसाद वितरण और शोभा यात्रा में हिस्सा लिया।
- कुछ दिन बाद अरविंद केजरीवाल अपने परिवार के साथ अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन करने भी गए। जबकि इंडी गठबंधन के नेताओं ने इससे दूरी बनाकर रखी।
- चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी ने पुजारी ग्रंथि योजना का ऐलान किया इस योजना के तहत मंदिर में काम करने वाले पुजारी और गुरुद्वारे के ग्रंथियां को हर महीने 18 हजार रुपए देने का वादा किया गया।
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चुनावी हिंदू बनना मजबूरी या जरूरी
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली की आबादी 1.68 करोड़ है। इसमें 81.68 प्रतिशत हिंदू हैं, जबकि 12.86 प्रतिशत मुस्लिम हैं। केजरीवाल चुनावी हिंदू बनकर भाजपा के हिंदुत्ववादी मतदाताओं को तोड़ना चाहते हैं। जो पारंपरिक रूप से भाजपा के माने जाते हैं। अरविंद केजरीवाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती धार्मिक प्रतीक को अपनाने की है, जिसके सहारे वह हिंदू लोगों से जुड़ पाएं। इसलिए वह हनुमान को चुन लेते हैं। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसकी गूंज सबसे ज्यादा सुनाई दी थी। हनुमान चालीसा के पाठ और मंदिर दर्शन के अलावा प्रचार के दौरान गदा लेकर वोट मांगते हुए नजर आए थे।
तुष्टीकरण की राजनीति में आगे
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 6 मुसलमानों उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि भाजपा ने एक भी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया है। इसलिए केजरीवाल को चुनावी हिंदू कहा जाता है। अरविंद केजरीवाल का टार्गेट हिंदू वोट है लेकिन वह मुसलमान का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं।
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