Delhi Assembly Result: भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने 9 फरवरी को कहा कि बिना किसी राजनीति के दिल्ली में पांच साल अब विकास होगा। आयुष्मान और महिला समृद्धि योजना को दिल्ली में लेकर आएंगे।
पिता के अधूरे कामों को पूरा करने का संकल्प
भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने रविवार को अपने पैत्रक गांव मुंडका पहुंचे। उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और अपने पिता साहिब सिंह वर्मा को श्रदांजलि दी और अपने पिता के अधूरे कामों को पूरा करने का संकल्प लिया। इसके बाद उन्होंने मुंडका के दादा भैरव मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना की।
किए जाएंगे विकास के सभी काम
दर्शन के बाद प्रवेश वर्मा ने पत्रकारों से कहा कि हमारे सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं। सड़कों की हालत खराब है। दिल्ली देहात की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। जनता ने जो कमल दिल्ली में खिलाया है। उसके बाद भाजपा के जीते उम्मीदवार अब यहां विकास के लिए सभी काम करेंगे।
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बिना किसी राजनीति के दिल्ली का विकास
प्रवेश वर्मा ने कहा कि दिल्ली में बिना किसी राजनीति के पांच साल विकास ही होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली को समय और ध्यान देने की बात कही। दिल्ली को पूरा बजट मिलेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक ईमानदार सरकार चलेगी। केंद्र और प्रदेश की सरकार मिलकर दिल्ली का विकास करेगी।
केजरीवाल को दी मात
इस दिल्ली चुनाव (Delhi Elections) में सबसे बड़ी सुर्खी भाजपा के प्रवेश वर्मा (Pravesh Verma) द्वारा आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को हराना है। लेकिन इस कहानी के पीछे एक और कहानी है कि कैसे पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Sheila Dixit) के बेटे और कांग्रेस के संदीप दीक्षित (Sandeep Dixit) ने तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद केजरीवाल की हार सुनिश्चित किया।
संदीप दीक्षित ने लिए अपनी मां की हार का बदला
2013 में AAP की जीत ने कांग्रेस को भी सत्ता से बाहर कर दिया था। 12 साल बाद, AAP के राष्ट्रीय संयोजक अब BJP के 47 वर्षीय परवेश वर्मा से हार गए हैं। लेकिन आंकड़ों में एक और कहानी सामने आ रही है। केजरीवाल परवेश वर्मा से 4,089 वोटों के अंतर से हार गए हैं। और संदीप दीक्षित 4,568 वोट पाने में सफल रहे और तीसरे स्थान पर रहे। इसलिए, अगर AAP और कांग्रेस ने मिलकर यह चुनाव लड़ा होता, तो केजरीवाल की जीत की संभावना बहुत प्रबल होती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आंकड़े एक और कहानी बताते हैं। 2020 के चुनाव में, केजरीवाल ने भाजपा के सुनील यादव को 21,000 से अधिक मतों से हराकर नई दिल्ली जीती। कांग्रेस उम्मीदवार रोमेश सभरवाल को तब 3,220 वोट मिले थे। इसलिए, आंकड़ों के हिसाब से, भाजपा ने इन दो चुनावों के बीच निर्वाचन क्षेत्र में निश्चित रूप से भारी बढ़त हासिल की है।
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