दिल्ली आबकारी घोटाला(Delhi excise scam) में दस्तावेज के जांच की मांग वाली सत्येंद्र जैन की याचिका(petition) पर राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1 दिसंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया। दिल्ली सरकार(Delhi government) के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने दस्तावेज़ की जांच करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है। स्पेशल जज एमके नागपाल ने कहा कि आज फैसला तैयार नहीं था, इसलिए इसे टाला गया।
कोर्ट ने 25 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान ईडी(Ed) ने जैन की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि दस्तावेज़ की जांच की इजाजत नहीं दी जा सकती है। ईडी ने कहा कि जैन की इस याचिका का मकसद सिर्फ ट्रायल में देरी करने का है। इसलिए उनकी याचिका खारिज कर जुर्माना लगाया जाए और ट्रायल के लिए आगे बढ़ना चाहिए। ईडी ने कोर्ट से कहा कि जैन की तरफ से पहले भी 16 बार अलग-अलग याचिका दाखिल कर मामले में सुनवाई टालने की मांग की जा चुकी है।
जैन की ओर से दलील
सुनवाई के दौरान सत्येंद्र जैन की ओर से कहा गया कि हम ट्रायल में देरी नहीं कर रहे हैं बल्कि हम संविधान के तहत आरोपित को मिले अधिकार का बस इस्तेमाल कर रहे हैं। तब कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के वकील से पूछा कि आप इस स्टेज पर दस्तावेज़ की जांच क्यों करना चाहते हैं। सत्येंद्र जैन के वकील ने कहा कि चूंकि जांच के दौरान एजेंसी ने जो दस्तावेज और बयान दर्ज किया है। हम उनको देखने की मांग कर रहे हैं। जैन के वकील ने कहा कि जो दस्तावेज जांच एजेंसी के पास हैं, आरोप तय करते समय उनमें से कुछ दस्तावेज हमारे लिए काफी अहम हो सकते हैं।
जैन के वकील ने एजेंसी पर उठाये सवाल
जैन के वकील ने भी एजेंसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जांच एजेंसी फेयर ट्रायल का विरोध कर रही है। जैन के वकील ने कहा 2017 में दर्ज एफआईआर पर छह साल तक जांच चली और एफआईआर दाखिल होने के पांच साल बाद गिरफ्तार किया गया। दूसरी तरफ एजेंसी की तरफ से दी गई लिस्ट को चार्जशीट दाखिल करने के समय पर नहीं दी गई और अब एजेंसी कह रही है जैन ट्रायल में देरी कर रहे हैं।