वृंदा करात की वह याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय ने कर दी खारिज

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ हेट स्पीच को लेकर सीपीएम नेता वृंदा करात की एफआईआर दर्ज करने की मांग खारिज कर दी है। जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने ये आदेश दिया।

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कानून के दूसरे उपलब्ध उपाय का उपयोग नहीं किया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने मामले के गुण दोष के आधार पर फैसला नहीं किया है बल्कि क्षेत्राधिकार पर विचार किया है।

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कोर्ट ने 25 मार्च को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वृंदा करात के वकील तारा नरुला और अदीत एस पुजारी से कहा था कि क्या नेताओं के भाषण किसी प्रदर्शन वाली जगह पर था। ‘ये लोग’ का मतलब किससे था। ये किसी खास समुदाय के लिए नहीं था। ‘ये लोग’ कोई हो सकता है। आप इसके बारे में कैसे कह सकते हैं। इसमें किसी के खिलाफ सीधे-सीधे नहीं उकसाया गया है। इसमें सांप्रदायिक बात कहां है। इस पर पुजारी ने कहा कि जब इन नेताओं ने भाषण दिए थे उस समय शाहीन बाग, जामिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन हो रहे थे। भाषणों का सीधा टारगेट एक खास समुदाय था।

क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज
8 अक्टूबर, 2020 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि यह क्षेत्राधिकार का मसला है। ट्रायल कोर्ट ने धारा 397 का हवाला दिया है, जिसका मतलब केस खारिज होना नहीं है। ये मामला महीनों तक लंबित रहा। तब कोर्ट ने कहा था कि आप जानते हैं कि मजिस्ट्रेट के समक्ष हजारों केस लंबित है। सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने केस की मेरिट पर गौर किए बिना हमें क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज कर दिया। ऐसा कर ट्रायल कोर्ट ने गलती की।

फैसलों की प्रति दाखिल करने का निर्देश
दिल्ली पुलिस की ओर से वकील ऋचा कपूर ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने जो सवाल उठाए हैं वे सेशंस कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर कर भी कहा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि वो इस मामले पर फैसलों की प्रति और याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर दलीलें रखेंगी। उसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को फैसलों की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया था ।

एफआईआर दर्ज करने का आदेश
26 अगस्त, 2020 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने वृंदा करात की याचिका खारिज कर दी थी। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से जरूरी अनुमति नहीं ली गई है, इसलिए एफआईआर दर्ज करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। ट्रायल कोर्ट ने अनिल कुमार और अन्य बनाम एम.के अयप्पा और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण दिया था, जिसमें कहा गया था कि लोकसेवक के खिलाफ जांच का आदेश बिना पूर्व अनुमति के नहीं दिया जा सकता है। ट्रायल कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ वृंदा करात ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

सीपीएम की नेता वृंदा करात ने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के हेट स्पीच के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। गौरतलब है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अनुराग ठाकुर ने एक जनसभा में नारेबाजी करवाई थी। उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को देश का गद्दार बताते हुए नारा लगवाया था कि ‘देश के गद्दारों को…गोली मारो…’ ।

बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग की तुलना कश्मीर की स्थिति से की थी। उन्होंने कहा था कि ‘शाहीन बाग में जो लाखों लोग हैं वो एक दिन आपके घर में घुस जाएंगे, मां-बहनों का रेप करेंगे और लूटेंगे।’ दोनों के बयानों पर निर्वाचन आयोग ने भी कार्रवाई की थी। पहले तो दोनों को भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची से हटाने का आदेश दिया था। बाद में अनुराग ठाकुर पर 72 घंटे और प्रवेश वर्मा पर 96 घंटे तक चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी थी।

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