Delhi High Court: रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने के विरोध में दायर की थी याचिका, कोर्ट ने दिया यह आदेश

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि अब ये फैशन हो गया है कि दलीलों में कड़े बयान दें।

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Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच दिल्ली के शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने की इजाजत देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के सिंगल जज के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और आप एक महिला सेनानी की मूर्ति लगाने पर आपत्ति जता रहे हैं।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई सभी धार्मिक सीमाओं के परे राष्ट्रीय हीरो
हाई कोर्ट ने कहा कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई सभी धार्मिक सीमाओं के परे राष्ट्रीय हीरो हैं, आप इसको धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता सांप्रदायिक राजनीति कर रहे हैं और वे कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है। सिंगल बेंच ने जो कहा है उसे पढ़िए। आप माफी मांगिए।

इसके पीछे कोई और हैः कोर्ट
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि अब ये फैशन हो गया है कि दलीलों में कड़े बयान दें। वे सिंगल बेंच या ट्रिब्यूनल को कैसे संबोधित किया जाता है, ये नहीं जानते हैं। तब कोर्ट ने कहा कि इसमें कोर्ट को नहीं संबोधित किया जा रहा है, बल्कि इसके पीछे कोई और है। यही समस्या है और वकील भी इसमें फंस जा रहे हैं। अगर वकील इस तरह फंसेंगे तो संस्थाएं टूटने लगेंगी। तब याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिका दायर करने के पीछे उनका ऐसा कोई उद्देश्य नहीं था। तब कोर्ट ने कहा कि कोर्ट का इस्तेमाल इस उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है। कोर्ट के बाहर सांप्रदायिक राजनीति कीजिए। कोर्ट को इसमें मत घसीटिए। तब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सिंगल जज के बारे में जो कुछ भी याचिका में लिखा गया है, वो हटा लेंगे। तब कोर्ट ने इसके लिए अर्जी दाखिल करने का निर्देश दिया।

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शाही ईदगाह पर आदेश
शाही ईदगाह प्रबंधन कमेटी ने दायर याचिका में कहा था कि शाही ईदगाह की जमीन पर अतिक्रमण पर रोक लगाई जाए, क्योंकि ये एक वक्फ संपत्ति है। याचिका में 1970 के गजट नोटिफिकेशन का जिक्र किया गया था, जिसमें शाही ईदगाह पार्क को प्राचीन संपत्ति बताया गया था, जो मुगल काल में बनी थी और वहां नमाज अदा की जाती है। सिंगल बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ईदगाह की बाउंड्री के चारों ओर का खुला इलाका और ईदगाह पार्क डीडीए की संपत्ति है।

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