Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली की एक अदालत ने 30 अप्रैल (मंगलवार) को शराब नीति मामले (Delhi Liquor Policy Case) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) द्वारा दायर दूसरी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी।
दोनों मामलों में सिसौदिया फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने 20 अप्रैल को उनकी जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखने के बाद, सिसौदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया।
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सिसोदिया को जमानत देने से इनकार
सिसोदिया की ओर से वकील विवेक जैन पेश हुए; प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष वकील ज़ोहेब हुसैन और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अभियोजक पंकज गुप्ता। ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में ट्रायल कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत से इनकार के खिलाफ सिसोदिया की समीक्षा याचिका भी खारिज कर दी थी। उनकी क्यूरेटिव याचिकाएं भी खारिज हो चुकी हैं।
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ईडी ने किया गिरफ्तार
मनीष सिसौदिया को पहली बार पिछले साल क्रमश: 26 फरवरी और 9 मार्च को सीबीआई और ईडी ने गिरफ्तार किया था। सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में, सिसौदिया और अन्य पर 2021-22 की उत्पाद नीति के संबंध में ‘सिफारिश’ करने और ‘निर्णय लेने’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया है, “सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से” लाइसेंसधारी पोस्ट टेंडर”। केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि AAP नेता को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उन्होंने गोल-मोल जवाब दिए और सबूतों के सामने आने के बावजूद जांच में सहयोग करने से इनकार कर दिया।
एजेंसी का दावा
दूसरी ओर, प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को थोक व्यापार में 12 प्रतिशत का लाभ देने की साजिश के तहत उत्पाद शुल्क नीति लागू की गई थी, हालांकि मंत्रियों के समूह की बैठकों के मिनटों में ऐसी किसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया था। एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और साउथ ग्रुप के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा एक साजिश रची गई थी। एजेंसी के मुताबिक, नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की ओर से काम कर रहे थे।
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31 मार्च और 28 अप्रैल को खारिज
दोनों मामलों में सिसौदिया की जमानत अर्जी विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल (अब स्थानांतरित) ने पिछले साल 31 मार्च और 28 अप्रैल को खारिज कर दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोनों मामलों में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्होंने इन दोनों फैसलों को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। पिछले साल 30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
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